यह बिल्कुल समझ के बाहर है कि सरकार कोरोना टेस्ट करने की रफ्तार सीमित क्यो रखे हुए हैं ?....जिस वक्त भारत जैसा 100 करोड़ से अधिक आबादी वाला देश मात्र कुछ हजार टेस्ट ही करता है वही मात्र 5 करोड़ की आबादी वाला दक्षिण कोरिया 3 लाख से अधिक टेस्ट कर लेता है........
कैसे?... HOW?.....
प्राइवेट लैब्स को टेस्टिंग के लिए इजाजत देने में क्यों देर हो रही है यह समझ में नही आ रहा है भले ही वह इसकी कीमत ले लेकिन कम से कम टेस्ट तो हो !....
यह सब लिखना नही चाहिए पर माफ कीजिएगा कोरोना पर सरकार की तैयारी एकदम घटिया स्तर की है!..........
अब जरा कोरोना टेस्टिंग की सच्चाई को समझने का प्रयास कीजिए........
दरअसल लैब टेस्टिंग में जो आवश्यक केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं चिकित्सा की भाषा में उन्हे 'प्रोब्स' कहा जाता है
इन कैमिकल्स के सेट का इस्तेमाल COVID-19 टेस्टिंग के लिए होता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल बता रहे हैं कि करीब 1 लाख प्रोब्स ही स्टॉक में हैं और प्रोब्स को जर्मनी से मंगाने के ऑर्डर दिए जा चुके हैं. साफ है कि जब केमिकल आएगा तभी तो टेस्टिंग हो पाएगी भारत में प्राइवेट लैब्स के टेस्टिंग को तैयार रखने के लिए कह दिया गया है
यह हाल है इस सरकार का?
30 जनवरी को केरल में भारत का पहला कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति मिला था, तब से अब 50 दिन गुजर चुके है चीन से आती हुई खबरों से इस संकट की भयावहता का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता था लेकिन सरकार इसके अलावा हर वो काम करने में बिजी थी जो इसके वोटबैंक को खुश रख सके
इस संकट की गंभीरता का अनुमान लगाने में मोदी सरकार नाकाम रही हैं लेकिन मूर्ख जनता को उसने घण्टे घड़ियाल शंख थाली बजाने की एडवायजरी जारी कर दी है जनता उसी में गर्व का अनुभव कर रही है
कल से कोरोना वायरस का टेस्ट व किट को लेकर जो खबरें सामने आई है उससे पता चलता है कि ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की तरफ से देश व विदेश की 18 कंपनियों को कोरोना वायरस की जांच की इजाजत दे दी गयी है...... क्यो भाई! अब तक सो रहे थे क्या?.........
क्या ऐसी कोई प्रारम्भिक जांच नही की जा सकती थी जिससे यह पता लग जाए कि यह साधारण फ्लू है या अज्ञात वायरस जनित फ्लू? एक पत्रकार मित्र बता रहे हैं कि सिर्फ 300 रुपए की लागत की एक ब्लड जांच ऐसी भी है जिससे वायरस के स्पष्ट संकेत मिल जाते हैं। सीनियर पैथोलॉजिस्ट बताते हैं कि हाई फ्लोरोसेंट सेल (एचएफसी), एब्सलूट लिंफोसाइट काउंट और सीआरपी तथा एल्बुमिन जांच ऐसी है ,जिसके जरिए इस बात के स्पष्ट संकेत मिल जाते हैं कि मरीज वायरस से संक्रमित है। इस पूरी जांच में लगभग 2 घंटे का समय लगता है यदि ऐसी जाँच करने की अनुमति दे दी जाए तो लाखों लोगो के बीच से संभवतः कोरोना के मरीजों को छांटा जा सकता है और उनकी विस्तृत जांच के लिए उनका सैम्पल देश की बड़ी ओर सक्षम लैब को भेजा जा सकता है
ऐसा क्यो नही किया जा रहा है यह समझ के बाहर है?, वैसे भी जब घण्टे घड़ियाल बजाने से देश की जनता खुश है तो ऐसे चुभते हुए सवाल सरकार से क्यो किये जाए? जब यह सब लिख रहा हूँ तो एक फोन कॉल आया है जिसमे रिकॉर्डेड मेसेज है कि जनता कर्फ्यू को सफल बनाना है, शाम 5 बजे थाली बजानी है आप लोग तैयारी कर लीजिए ......PLZ CARRY ON
Girish Malviya