कोरोना अमरीका और इजराइल की साजिश है।

कोरोना अमरीका और इजराइल की साजिश है। चीन को बर्बाद करने के लिए किया गया काम लेकिन पूरी दुनिया पकड़ में आ गयी। यूरोप भी और खुद अमेरिका भी।


अमरीका की साजिश है ऐसा कहने के पीछे क्या है मेरे तर्क एक बार पढ लिजिए।


(1) अमरीका पूंजीवादी साम्राज्यवादी देश है। पूंजीवाद खून का प्यासा होता है। 1000 करोड़ डोलर कमाने के लिए पूंजीवाद 1000 लोगों की जान लेने में बिल्कुल हिचकिचाहट महसूस नहीं करता है।


(2) जबकि साम्यवाद तो हमेशा गरीबों के बारे में ही सोचता है। कम्युनिस्ट वही बनता है जिसे गरीबों की चिंता रहती है। कम्युनिस्ट कभी एक इन्सान को भूख से तड़पते नहीं देख सकता है। कम्युनिस्ट कभी किसी बिमार को इलाज के अभाव में मरते नहीं देख सकता है। कुछ भी हो लेकिन चीन में सत्ताधारी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी है। वो कभी ऐसा नहीं कर सकते कि निर्दोष लोग बेवजह मारे जाय।


(3) लेकिन अमेरिका का तो इतिहास ही रहा है दुनियाभर में दादागिरी करना और अपने रास्ते के कांटे को हटाने के लिए साजिशे करना।


(4) दूसरा विश्व युद्ध पूरा हो जाने के बावजूद अपनी ताकत दिखाने के लिए अमेरिका ने जापान के दो शहर पर परमाणु बम फैंका था। जिसमें हजारों लोग मारे गये थे।


(5) पेलेस्टाइन की धरती पर दादागिरी करके घूसकर इजराइल नामक देश बना दिया और आज वही इजराइल अमेरिका के हर काले कारनामे में उनका सागरित होता है।


(6) रशिया के साथ भी लंबे समय तक कोल्ड वोर चलता रहा। क्यूबा के नेता फिडेल क्रास्टो को जान से मारने की 100 से ज्यादा बार कोशिश की था। वियतनाम के साथ भी अमेरिका लडाई कर चूका है।


(7) अफगानिस्तान में नजीबुलाह की प्रोगेसिव सरकार थी। अफगानिस्तान यूरोप जैसा आधुनिक बन रहा था। अमेरिका ने वहां तालिबान पैदा किया।


(8) सदाम हुसेन के शासन में इराक भी आधुनिक बन रहा था। केमिकल वेपन्स मुद्दे पर सदाम को बदनाम कर दिया और अंत में उसे मार दिया। इरान के साथ भी अम लडता रहता है।


(9) उत्तर कोरिया के साथ भी दुश्मनी है। अमेरिका चाहते हैं कि पूरी दुनिया उसे झूकती रहे और उसे पूरी दुनिया में पूंजीवादी लूंट की छूट होनी चाहिए।


(10) जिस देश के शासक अमेरिका के साथ समझौता कर लेता है उसे झूक झूक कर सलाम ठोकता है, अमरीका उसे बचा लेता है। बाकी जो देश उसे झूकते नहीं है उसे पहले बदनाम करता है फिर साजिश करता है और बर्बाद कर देता है।


(11) एक चीन ही था जिसे वो कंट्रोल नहीं कर पाया। खरीद नहीं पाया। चीन हर तरह से अमेरिका से पावरफुल बनता जा रहा था उसे बर्बाद करना अमेरिका के लिए जरूरी था।


(12) चीन कभी अपने देश में वायरस का प्रयोग नहीं करता। अमेरिका 2015 से बोल रहा है कि चीन में से वाइरस आयेगा। जिसने प्लानिंग किया हो उसे ही इतने पहले से पता होता है।


(13) चीन में कंट्रोल हो गया इसका मतलब ये नहीं है कि चीन की साजिश है। चीन में 1 लाख लोक संक्रमित हुए है। 3000 से ज्यादा मौत हुई है। चीन कभी अपने नागरिकों के साथ ऐसा नहीं करता।


(14) चीन में कंट्रोल तो इसलिए हुआ है कि चीन के शासक और जनता समझदार हैं। बेहतरीन डॉक्टर और मेनेजर्स है चीन के पास। लोगों का घर बाहर निकलना बिल्कुल बंद करवा दिया था चीन ने। प्रशासन ने पूरी ताकत लगा दी थी कोरोना को रोकने के लिए। फंड की कोई कमी नहीं थी। सेनेटाइजर, मास्क, होस्पिटल, डॉक्टर्स, नर्स सबको लगा दिया था काम पर। इसलिए कंट्रोल हो गया है।


(15) जैसे भारत में गोदी मिडिया भाजपा का प्रचार करता है उसी तरह दुनिया के मिडिया पर अमेरिका का प्रभुत्व है। किसी भी देश या शासक को अमेरिका बदनाम कर देता है। सदाम से लेकर शी जिन पिंग तक को दुनिया की पूंजीवादी मिडिया एक ही सूर में अमेरिका और इजराइल को हीरो बताती है और चीन को विलन। वास्तव में विलन अमेरिका ही है।


(16) भारत में जैसे साजिश संघ करता है और दोष कोंग्रेस, नहेरु, राहुल गांधी और कम्युनिस्ट को मिडिया देती है उसी तरह दुनिया में साजिश अमेरिका करता है और दोष स्टालिन, सदाम, शी जिन पिंग को देते रहते हैं।


(17) चीन के लोगों के खानपान के कारण वाइरस फैला ये सब अमेरिका के आइटी सेल का किया कराया प्रचार प्रोपेगेंडा है। चीन के लोग जो खा रहे हैं वो बरसों से खा रहे हैं। लेकिन जैसे भारत में मुसलमानों को बदनाम किया जाता है उसी तरह दुनिया में कम्युनिस्ट देशों को बदनाम किया जाता है।


(18) अमेरिका कितने भी बोगस प्रुफ चीन विरुद्ध दिखा दे मेरा ये आखरी मानना है। गुनहगार अमेरिका है। पूंजीवादी व्यवस्था है। मल्टीनेशनल कंपनियों की मुनाफाखोर मानसिकता गुनह है। जिसे वेकसिन भी बेचनी है। दवाईयां भी बेचनी है। लडाई के शस्त्र भी बेचने है। जैसे लडाकू विमान, मिसाइल, टैंक, टेक्नोलॉजी। अमेरिका सब कुछ बेचता है। आतंकवाद भी और आतंकवादी भी। खरीदने वाला चाहिए।


रेसनालिस्ट अनिल