केरल की स्वास्थ्य मन्त्री शैलजा पहले रसायन विज्ञान की शिक्षिका रह चुकी हैं, इस कारण उन्हें लोग प्यार से शैलजा टीचर बुलाते हैं।
2018-19 में उनके नेतृत्व में निपाह वायरस से केरल सफलता पूर्वक लड़ चुका है। जिसकी तारीफ न केवल भारत बल्कि पूरे दुनिया भर में की गई।
इस बार जब जनवरी में चीन से कोरोना वायरस की सूचना आनी शुरू हुई तब जबकि केरल में कोरोना से प्रभावित एक भी मरीज नहीं था उसी समय केरल सरकार ने शैलजा टीचर के नेतृत्व में इस वायरस से लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। शैलजा टीचर ने उसी समय केरल से वुहान पढ़ने गए छात्रों को चिन्हित करना शुरू कर दिया था। जब 30 जनवरी को छात्र वहां से आये तब एयरपोर्ट पर ही उन्हें रोककर सम्पर्क में आये परिवारजनों के साथ अलग वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। केरल ने 4 फरवरी को ही अपने यहां चिकित्सा आपातकाल घोषित कर दिया।
अभी यह वायरस आना शुरू ही हुआ था तबतक 3420 लोगों को उनके घरों में ही अलग कर दिया गया ताकि वायरस न फैले। जबकि 27 को अस्पतालों में निगरानी के लिए रखा गया। 10 फरवरी तक 21 अस्पतालों में 40 बेड का कोरोना वार्ड बना दिया गया। किसी तरह का अफवाह न फैले इसके लिए एहतियात बरता गया और तरह तरह के संचार माध्यमों के द्वारा लोगों को जागरूक किया गया। अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
आज देश में कोरोना से लड़ाई में शैलजा टीचर के नेतृत्व में केरल सबसे ज्यादा तैयारी के साथ सबसे आगे खड़ा है। इस आपातकाल में उसने बुद्धि और विवेक से चुनौती का सामना किया है।
देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो बतोलेबाजी की जगह काम करें।
शैलजा टीचर को लाल सलाम
केरल की वामपंथी सरकार को लाल सलाम
रत्नेश कुमार