#काम_क्यूबा_ही_आया


● अमरीकी मदद से चुनाव जीतने के बाद ब्राजीली राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो ने कुछ महीने पहले क्यूबा के डॉक्टरों को "आतंकी" बताते हुए देश से बाहर निकालने का शौर्य दिखाया था ; अब जब राष्ट्रपति खुद लपेटे में आ गए तो उनके आका अमरीका ने किसी भी तरह की मदद देने की जगह ठेंगा दिखा दिया। झक मारकर ब्राजील को क्यूबा और वेनेज़ुएला के उन्ही डॉक्टरों से मदद की याचना करनी पडी, जिन्हे उसने निकाला था।
● क्यूबा के डॉक्टर्स कुछ ही घंटों में ब्राजील पहुँच भी गए। उनके अलावा पड़ोसी देश वेनेज़ुएला और दूर के देश चीन ने भी आनन फानन में अपने डॉक्टर्स के दल भेज दिए।
#ऐसा_होने_की_वजह ??
सिम्पल ; पूंजीवाद और समाजवाद में यही तो अंतर है। दुष्ट राज्य अमरीका के लिए मुनाफ़ा ही सब कुछ है जबकि समाजवादी क्यूबा के लिए मनुष्यता सर्वोच्च है। दुश्मन मानने वाले देश के इंसान की जिंदगी भी कीमती है। #सबक ;मनुष्यता बचाने के लिए कोरोना और (मूर्खता के) मोरोना वायरस दोनों के साथ पूंजीवाद के उस सड़े - गले ढेर को भी साफ़ करना होगा जिनके लिए आपदाये और महामारियां भी धंधे और कमाई का जरिया होती हैं।


BADAL SAROJ