हिंदू-मुसलमान कर रहे हैं,भूल रहे है कोरोना देख रहा है। 

'कोरोना' सब देख रहा है !
--------------------------------
निज़ामुद्दीन में जो तबलीगी जमात का मरकज़ ( दफ़्तर) है, वहां हमेशा सैकड़ों लोग रहते हैं। हिंदुस्तानी ही नहीं, देश-विदेश से आते हैं मज़हब का प्रचार करने। अभी भी आए हुए हैं। अब मोदीजी ने किसी को वक़्त तो दिया नहीं था, अचानक लॉकडाउन का ऐलान कर दिया। कोई कहीं जा नहीं सकता था।जैसे मज़दूर जा नही पाए और सड़क पर निकल पड़े।जो मरकज़ में थे,उन्हें वही रहना पड़ा।इसके अलावा उनके पास कोई चारा नही था,लेकिन गोदी-मीडिया ने वही किया,जो वो करता है। प्रचारकों को 'छिपा' हुआ बताया और बिना तहकीकात जाने क्या-क्या कह दिया गया, जबकि सिर्फ मरकज़ ही ऐसी जगह नही है, जहां लोग फंसे हुए हैं।अचानक हुए लॉकडाउन ने अफरा-तफरी मचा दी और जो जहां था,वही रह गया।बाकी के लिए मीडिया 'फंस' गए का इस्तेमाल कर रही है,जबकि निज़ामुद्दीन के लिए 'छिपे पाए गए',कहा जा रहा है।इतने मुश्किल हालात में भी बदबख्त मीडिया हिंदू मुसलमान करने से बाज़ नहीं आ रहा है। जो विदेशी आए हैं, क्या उनकी डिटेल हिंदुस्तानी सरकार के पास नहीं है। उन्होंने इजाज़त दी है, तभी आए हैं। कब आए हैं, कब जाएंगे, सब सरकार को पता है और  हिंदुस्तान में कहां-कहां घूमेंगे, इसकी जानकारी भी उसके पास है। जाहिर है,लॉकडाउन से पहले ही उनको वापस भेज दिया जाना था, या फिर कहीं हिफाजत से रख दिया जाना था। ऐसा नहीं हो पाया, मतलब समझ लीजिए किस दर्जे के लापरवाही है और बिना सोचे समझे लॉकडाउन किया गया है। अब अचानक छापा मारकर बताना सब यहां छिपे बैठे हैं, सिर्फ खुफिया एजेंसियों की नाकामी ही है। क्या सरकार से नहीं पूछा जाना चाहिए, जो विदेशी हिंदुस्तान में हैं उनकी जानकारी उनके पास क्यों नहीं थी और वक़्त से पहले उन्हें वापस क्यों नहीं भेजा गया? कोई भी घुसपैठिए की तरह तो आया नहीं है,  इन सब के पास पासपोर्ट है,वीसा हैं और सारी जानकारी सरकार के पास है, लेकिन मीडिया को हाइप क्रिएट करना है, बताना है, गड़बड़ कहां हो रही है,कौन कर रहा है, इसलिए बस लगे हैं। हां, तबलीगी जमात के जिम्मेदार भी भाग नहीं सकते हैं,उनके पास अगर लोग थे, भीड़ थी, उन्हे सरकार को बताना था, प्रशासन को अलर्ट करना था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अब जो हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं। अब निजामुद्दीन से इंदौर आ जाइए! रानीपुरा का वो वीडियो खूब चल रहा है, जिसमें सेहत महकमे को गालियां दी जा रही है, कोसा जा रहा है,मार देने की धमकी दी जा रही है।जो ऐसा कर रहे हैं, इंसानियत के दुश्मन है और इनके खिलाफ कारवाई होना चाहिए।चारों तरफ इसकी निंदा हो रही है।लेकिन मुद्दा सिर्फ इतना नहीं है।दूसरी तरफ भी सेहत महकमे के साथ यही हुआ है।कोतवाली थाने ने मुकेश राणे और राहुल राणे के ख़िलाफ़ रपट दर्ज की है।'जग्गा' का सिर्फ इतना कहना है, वक़्त हिंदू-मुसलमान का नहीं है और बात को गलत तरीके से फैलाने का भी नहीं है। बीमारी ना तो जात देख रही है, ना ही मज़हब।कोई भी नहीं चाहता है,वो बीमार हो, मौत की दहलीज तक पहुँचे। अगर किसी इलाके में दो-चार पॉजिटिव निकले हैं तो मान लीजिए वहां से और भी निकलेंगे। इसके बाद कहा जाए सिर्फ यही बीमारी फैला रहे हैं, गलत है। उनके साथ सब कुछ अचानक हुआ है और पता नहीं कहां से वायरस चिपक गया। मुश्किल हालात में एक दूसरे की मदद होना चाहिए।लापरवाही हुई है,लेकिन सब जगह है। कल जब दूध के लिए इंदौर में छूट दी गई तो क्या कुछ खास इलाकों में ही भीड़ थी,सब बाहर निकल आए थे और मामला फेल हो गया।वक़्त मिलजुलकर मुकाबला करने का है और जो हिंदू-मुसलमान कर रहे हैं,भूल रहे है कोरोना देख रहा है। 


Hemant Malviya Kirtish Bhatt