डॉ राम मनोहर लोहिया-23 मार्च
जाति जोड़ने और अंतर्जातीय बिवाहकी तरफदारी करने वाले डॉ राम मनोहर लोहिया का मानना था सामाजिक परिवर्तन सभी जातियों के सहयोग के बिना संभव नहीं है डॉक्टर साहब आत्मा से विद्रोही थे अन्याय कि तिब्तम प्रतिकार उनके कर्मों व सिद्धांतों की बुनियाद रहीहै प्रबल इच्छाशक्ति के साथ साथ उनके पास असीम धैर्य और संयम भी रहा
डॉ लोहिया ने वह रास्ता दिखाया जिसके जरिए साधारण लोग भी सुकरात या पहलाद बन सकते हैं वह है तकलीफ उठाने का हथियार सिविल नाफरमानी का
करतब करने वाला एक होता है सैकड़ों उसकी स्तुति करने वाले होते हैं आज हिंदुस्तान को ऐसा ही कर्तव्य परायण कानून तोड़ने वालों की जरूरत है जोहर स्थिति में मुसीबत और तकलीफ उठाकर सामंतवाद अन्याय अत्याचार का विरोध करने के लिए कमर कसकर तैयार रहें सत्याग्रह के द्वारा ही डॉक्टर लोहिया की परिकल्पना को समझा जा सकता है
आज देश की राजनीति में गैर कांग्रेस और गैर भाजपा व उसके संगठन यह भाजपा के विरोध के नाम पर कांग्रेस के आगे आत्मसमर्पण कर रहे हैं सिर्फ RSS का शोर मचाने से रोकने वाला नहीं है उसके विकल्प के लिए डॉक्टर लोहिया के बताए हुए विकल्प और कार्यक्रम सामने रखना होंगे और उन पर अमल भी करना पड़ेगा आज की तारीख में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही उन्हें अपना चारागाह मान रही है
भारतीय राजनीति में अच्छाई और सफाई तब आएगी जब अपने ही पार्टी के लोग अपनी ही पार्टी की बुराइयों की आलोचना करेंगे
डॉ राम मनोहर लोहिया ने सिखाया बगेर सफल हुए भी राजनीति में रहा जा सकता है
संघर्ष करते विफलता खेलते हुए सिद्धांतों पर रहकर संघर्ष करते हुए काम करना यही समाजवाद है