#वन्स_अगेन_माधवराव,
यस, 1971 में वे गुना से जनसंघ के सांसद थे ।
बकौल उनके "मैं 26 साल का था - एक दिन लन्दन से बुलाकर अम्मा महाराज ने कहा चुनाव लड़ जाओ - लड़ गए।" ध्यान रहे कि महल पर कब्जे और आंग्रे को लेकर अंतर्विरोध तब तक उतने मुखर नहीं हुए थे।
मगर अगले चुनाव 1977 में गुना शिवपुरी लोकसभा सीट से वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कर्नल ढिल्लन खिलाफ लड़े थे। उनकी अम्मा महाराज उन्हें जनता पार्टी की टिकिट आसानी से दिला सकती थीं, किन्तु वे उससे पहले ही जनसंघ का संग, जितना भी था, त्याग चुके थे। उसकी वजह जो भी रही हो। यह इसलिए पक्का याद है कि हम तब मीसा की जेल से छूट कर सीधे ढिल्लन साब के प्रचार में पहुंचे थे।
असली सवाल उनके इवॉल्व होने और उसके बाद एक निश्चित धारणा बनाने का है। अब यूँ तो उनके पिता जीवाजीराव पक्के हिन्दूसभाई थे, इत्ते पक्के कि गोडसे को पिस्तौल मुहैया कराने तक के मामले में संदिग्ध रहे और माता राम विजयाराजे सिंधिया ने राजनीति कांग्रेस से शुरू की थी।
सो व्हाट !!
बादल सरोज