सिविलाइजेशन का पाठ दुसरोको पढ़ाने की बातभी  कितनी बेमानी लगती है?

उधर अमेरिका में भी एक सरफिरे जिसका नाम डोनाल्ड ट्रम्प है और वह बावला उस मुल्कके सबसे बड़े पदपर बैठा है ! ने मुसलमानों को अलगसे अपने नाम रजिस्टर करने के लिए कहा है ! 30-40साल पहले 1993 मे पेन्टॉगॉननने जिमी कार्टर जब अमेरिका के राष्ट्रपति थे ! (The Clash of Civilizations and the Remaking  of world order) नामकी किताब (Samuel Huntington) नामके एक अमेरिकीप्रोफेसर  के रक्षा विभाग के foriegn policy नामकी पत्रिका में प्रकाशित लेखों को इकट्ठा करके जान बुझकर अन्टी इस्लाम प्रचार करने हेतु लॉन्च की थी जो अमेरिका खुद 500 साल पहले रेड इण्डियन और अन्य मुल निवासी योका जेनोसाईड करकेही और अफ्रीकन गुलाम जहाजोमे भर भर कर उनके मेहनत से  वजूद में आया उसे दूसरे लोगों को विदेशिओं की गाली देना बहुत बड़ी विडम्बना है!और सिविलयझेशन का पाठ दुसरोको पढ़ाने की बातभी  कितनी बेमानी लगती है?
                तेल और इस्राईल के लिए ! और उसके बाद अल कायदा केद्वारा सलफिझम पोलिटिकल इस्लाम को हवा देने की साजिश के तहत वहाबी इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए लादेन ,द्वारा अल कायदा को निर्माण करने का पाप अमेरिकन एजेंसी  सी आई ए ने ही किया है ! अफगानिस्तान में रशियनद्वारा कायम की गई  कमुनिस्ट सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने हेतू लादेन द्वारा अल कायदा नामका एक आतंकवादियोंको तैयार करने के लिए हर तरह की मदद की है ! उसमे कौनसा सिविलयझेशन था ? और उसी कडिमे इराक युद्ध जिसमे कम्सेकम 15 लाख लोग मारे गये जिसमें गिनकर पाँच लाख 15 साल से कम उम्र के बच्चों को मारा है और इराक की प्रमुख नदियाँ टिग्रीस और उफ्रेटीस को जहरमे तब्दील कर दिया इसमे कौनसा सिवीलायझेशन था ? चले दुसरोको पाठ पढ़ाने ! 500 साल के अमेरिकी इतिहास को खंगालने से पता चलता है कि यह तथाकथित सभ्य अमेरिका बनानेके लिये  कितने लोगों की बलि दी गई है ! साठ के दशक का वियतनाम युद्ध और लातीनी अमेरिकी देशों में लगातार शेकडौ सालोसे चिली,पनामा,क्यूबा और उसके अगल बगल के सभी देशों के साथ अमेरिकाने क्या नही किया और अभी दोनोल्ड़ ट्रम्प दिवार बनानेकी बात कर रहे हैं ! और उसीकी देखा देखी में नरेंद्र मोदी-अमित शाह एन आर सी कीआडमे मुसलमानो को सताने का काम कर रहे हैं ! वैसे भी इन लोगों की फितरत मुस्लिम द्वेष की रही है गुजरात में 2002 के दौरान पूरी दुनिया ने देखा है !
            और अफगानिस्तान,इराक और फिलहाल सीरिया मे चल रहे युद्धों को अंजाम दिया और उसके बाद भी बहुत कुछ अमेरिकी सरकार तथा कुछ पश्शिमी मुल्क भी इस पापके भागीदार हैं यह तेल की राजनीति का हिस्सा रहा और कुछ हद तक झियोनीस्ट राजनीतिकाभी  ! और फिर उसके जवाब में भी बहुत कुछ लिखा गया है उदाहरण के लिए Mahmood Mamdani की Good Muslim Bad Muslim और भी बहुत कुछ !
        लेकिन हमारे देश में  भारत में भी कुछ सरफिरे हिदुत्ववादी दोबारा सत्ता में आ बैठ जाने के कारण यहा एन आर सी का फंडा उसीकी नकल करने की कोशिश कर रहे हैं ! हालाकि यह भारत जैसे मुल्कमें  जिसमे हजारों-हजार सालो से दुनियाके सभि धर्म के लोग रह रहे हैं जहा इस तरह की कुछ भी पहल करना याने देशकी अखंडता और एकता के लिए बहुत बड़ा खतरा मोल ले रहे हैं ! क्यौंकि भारत के बटवारे को सिर्फ 72 साल ही हो रहे हैं ! उस अनुभव से वर्तमान शासक वर्ग अगर कुछ भी नहीं सीख रहा है तो उनके जैसे नादान वही है लेकिन यह नादानी देशकी एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करने के लिये नही दी जा सकती ! 
         सावरकर की पुण्यभू,पितृभू,मातृभूमि की थेअरी  1935 से हिंदुत्व नामके किताबोसे लेकर सन्घकी वैचारिक भुमिका दूसरे संघप्रमुख  सरसंघचालक श्री माधव सदाशिव गोलवलकरने हूबहू नकल करकेही मुसलमानों को भारत की मध्य धारामे शामिल होना होगा भारत के जो भी पूजनीय है वह उह्नोने भी वैसाही करना है ! एक तरफ हमारा 26 नवम्बर 1949 में जो संविधानसभा ने संविधान मंजूर किया जिसे गोलवलकर ने तिन दिनोके भीतर ऑर्गनाइजर नामके संघके अन्ग्रेजी मुखपत्रमे साफ नकारा था और इस बात को   अभि एक हप्ता पहले ही 70 साल हो चुके हैं है जिसमें इस देश में रहने वाले-वाली हर धर्मके,जाति,स्री ,पुरुष,अन्य लिंगी मतलब भाषा,संस्कृति,प्रांत,जाति,संमप्रदाय के होनेके बावजूद इस इस देश के नागरिक हैं और उह्ने सभिको बराबर के अधिकार यह संविधानसभा देती है यह गारंटी देनेके बावजूद ये लोग अब नैशनल सिटिजन रजिस्टर के नाम से एक बिलकुल बेवजह की बात लादने जा रहे हैं यह बहुत खतरनाक साबित होगा 35 करोड़ मुसलमानों को असुरक्षाके मानसिकतामे डालना याने 1940 में  जिन्नाने जो तर्क दिया था की कुछ दिनों बाद भारत को आजादी मीलनेके बाद मुसलमान मयनोरिटी मे हो जायेंगे और हिन्दुओ की तरफ से उह्ने हर जगह दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रहना होगा इसलिए हमें अपना अलग देश चाहिये ! उस समय क्या स्तिथि थी ? वह तो उतनी स्पष्ट नहीं है क्यौंकि आजादी मिलने की थी ! लेकिन बादमे 15 अगस्त को आजादी के बाद कॉन्ग्रेस्की सरकार काफी समय तक रही और कम अधिक प्रमाण मे उसने सबको लेकर प्रशासन चलानेकी कोशिश की उसमे भी बहुत कुछ खामिया थी जिसका हम लोगों ने समय समय पर विरोध किया है लेकिन इनके जैसे एकदम खुलकर मुख्यतः शाहबानो के फैसले के बाद 1986 याने आजसे 30-35 सालसे बाबरी मसजिद को लेकर जो हंगामा शुरु किया वह बदस्तूर जारी है ! और अब तो खुलकर हिन्दु-मुस्लिम पर उतर आये हैं ! वैसे भी इनकी फितरत 1925से  साम्प्रदायिकताके अधारपर ही रही है लेकिन मसलाआज इनके हाथ देश चलाने का अधिकार आ गया है और उधर वह सरफिरा ट्रम्प और इधर ये लोग ! वह भी वहापर आया तबसे लेकर आज तक इतनी कम्मूनल और रेसियल हरकतें कर रहा है और इधर ये लोग जैसे एक दूसरे में होड लगी हो !
                पर यह बावले दुबारा मई 2019 के बाद इनके सभी कार्यक्रम मुसलमानो को कॉर्नर करना शूरू कर दिया ! 370,तिन तलाक,मस्जिद-मंदिर और अबकी बार एन आर सी जैसे बेवजह के मुद्दे लाकर देशमे भय का माहौल पैदा कर रहे हैं जो कि प्याज 100 रुपये  को छु रहा है और अन्य जिवनावश्याक चिजोके दाम आसमान छू रहे हैं लेकिन किसान को उसका दाम नहीं मिलता है ! बी एस एन एल,रेल,इन्डियन एयरलाइंस,कई सरकारी अच्छेसे चलनेवाले उद्योग-धंधों प्रयावेट सेक्टर को बेच रहे हैं और अर्थिक बदहाली बुरी तरह से प्रभावित होकर नौकरी धंदे चौपट हो गये हैं,बैंकिंग प्रणाली परसे  लोगों का विश्वास खत्म हुआ है,ईडी,सी बी आई,एन आई ए,को अपने घर के नौकर जैसा इस्तमाल करके उनकी रही सही इज्जत को दावपर लगाकर रख दिया है 100% राजनीतिक इस्तेमाल बगैर किसी लाज शर्म किये खुलकर ! 
             हमारे कोर्ट कचहरी से पहले की तुलना मे अब विस्वास खत्म हो गया है ! इन बातो पर ध्यान देने की बजाय भावनिक मुद्दोंमें पूरे 135 करोड़ आबादी वाले देश को धकेलने का काम देशद्रोहका काम है और इसे हर हाल में रोकना जरुरी है ! दूसरो को आये दिन देशद्रोही कहते रहते हैं लेकिन इनकी सभी हरकतों का जायजा लेने के बाद तो यही देशद्रोही नजर आते हैं ! 
           क्योंकि इस तरह के किसी भी कौम के साथ लगातार अपमानजनक व्यवहार करते रहने से क्या किसिभी देशका समाज स्वास्थके प्रश्न नहीं पैदा होंगे ? क्या 30-35 करोड़से ज्यादा आबादी यह सब चुपचाप बैठ देखते रहेगी ? वर्तमान केन्द्र सरकार सीधे सीधे आगके साथ खिलवाड़ कर रही है ! इसे हर हाल में रोकना चाहिए अन्यथा इनके इस पागलपन में देश का और एक बटवारे को संघ परिवार न्योता दे रहा है  ! नहीं तो भी उनके तथाकथित विचारक विनायक दामोदर सावरकर की हिंदुत्व नामकी किताब में साफ तौर पर हिन्दु और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र है यह वे  लिख चुके हैं ! और उसिको अमलीजामा पहनाने की कोशिश संघ परिवार कर रहा हैं लेकिन यह मुल्क इनके बापकी जागीर नहीं है कि वे कुछ भी मनमानी करे ! सबसे मुख्य बात इनका आजदीके अन्दोलन में दूर दूर तक संबंध नहीं था उल्टा अन्ग्रेजोके दलाल बनकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयोकी हलचलों पर नजर रखने के बाद अन्ग्रेज सरकार को बताने के काम करते रहे ! और अन्ग्रेजी सेना में भर्ती करनेके काम करते रहे ! एक साजिश के तहत आजादिके अन्दोलन से कोसो दूर रहे  इसलिए देश क्या होता हैं ये क्या जाने ? इसलिए इतना गैरजिम्मेदार काम कर रहे हैं जिसे रोकना हर भारतीय का नैतिक दायित्व है !



         Dr. Suresh Khairnar Nagpur


लेखक सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्र सेवा संघ राष्ट्र सेवा दल के पूर्व अध्यक्ष  हैं