गत वर्ष भाजपा के पूर्व संस्करण भारतीय जनसंघ के संस्थापक एवं प्रमुख नेता, विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्मशताब्दी था l
राष्ट्रवादी चिन्तक पंडित जी का देश की आज़ादी के लिए चल रहे विभिन्न आंदोलनों से कोई रिश्ता नहीं था ,उन्होंने आज़ादी के किसी संघर्ष में हिस्सा भी नहीं लिया ,
जब स्वतंत्रता संग्राम चरम पर था तब पंडित जी युवा थे l देशभक्त होकर आजादी के आन्दोलन से वे दूर क्यों रहे ? यह शोध का विषय है l
यह आश्चर्यजनक है की नेताजी सुभाषचंद्र बोस से लेकर लालबहादुर शास्त्री तक की रहस्यमय मौत पर लगातार सवाल उठाकर हल्ला मचाने वाले पंडित जी की रहस्यमय मौत पर चुप्पी क्यों साध लेते है ?
11 फ़रवरी 1968 को पंडित जी मुगलसराय जंक्शन पर मृत पाए गए थे , भाजपा की केंद्र में दो -तीन बार सरकार बनने के बाद भी उनकी रहस्यमय मौत की गुत्थी नहीं सुलझी l इस रहस्यमयी हत्या के समय जनसंघ में उनके समकालीन रहे जनसंघ के प्रथम पंक्ति के नेता बलराज मधोक ने जनसंघ के ही दो वरिष्ठ नेताओं पर पंडित जी की हत्या में लिप्त होने का शक ज़ाहिर किया था l इसलिए अटल जी ने तीन बार सरकार बनाने के बाद भी इस मुद्दे में किसी ने कोई रूचि नहीं ली l
जिस स्टेशन पर उनका शव मिला था मोदी जी नें उस का नामकरण पंडित के नाम पर कर दिया है लेकिन उसकी जांच से वे ही कतरा रहे है l
बलराज मधोक ने जिन लोगों पर हत्या में संलग्न होने का संदेह ज़ाहिर किया था उसमे से दो व्यक्तियों मोदी सरकार भारत रत्न जैसे सर्वोच्च अलंकरण से सम्मानित कर चुकी है l अगर भाजपा को ही अपने नेता की ह्त्या की जांच की परवाह नहीं है तो दूसरों से क्या उम्मीद करें ?
पंडित जी की आज 52 वीं पुण्यतिथि है l
पंडित जी की मौत के जिम्मेदार लोगो के नाम सामने लाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी