जो सबूतों के साथ भी खुद को साबित नहीं सके


Jacinta Kerketta

CAA को लेकर केंद्र सरकार ने कहा है "पूर्वोत्तर के राज्य सुरक्षित रहेंगे। उनके अधिकारों, भाषा, संस्कृति,सामाजिक पहचान को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं। जनजातीय इलाकों में यह बिल लागू नहीं होगा।"

ये वही इलाके हैं जहां लोगों ने CAA का जबरदस्त विरोध किया है। बाकी के आदिवासी इलाकों में ऐसा प्रतिरोध अभी दर्ज़ नहीं हुआ है। पर, गौर करने वाली बात यह है कि सरकार सिर्फ़ पूर्वोत्तर के राज्यों की सुरक्षा की बात कर रही है । वे राज्य छठी अनुसूची के अन्तर्गत आते हैं। देश के बाकी राज्यों में पांचवीं अनुसूची के अन्तर्गत निवास करने वाले आदिवासियों की बात नहीं की गई है।



हालिया घटनाओं से समझना चाहिए कि हजारों सालों से जंगलों में रहने वाले लाखों आदिवासियों को अचानक सिर्फ़ एक फ़रमान पर जंगल छोड़ने का आदेश दे दिया जाता है और लोगों के सारे के सारे सबूत धरे के धरे रह जाते हैं। अपनी ज़मीन पर अपने हक के सारे प्रमाणों के बाद भी पांचवीं अनुसूची के इलाकों में निर्बाध तरीके से लोगों को बसाया जाता रहा, गैरकानूनी तरीके से लोग ज़मीन लेकर बसते चले गए, उनपर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा जंगल पर अपने अधिकार के सारे सबूत दिखाने के बाद भी आदिवासियों की मांगे ही रद्द होती रही ।


दूसरी ओर विकास के नाम पर सुदूर इलाकों में फेंक दिए गए विस्थापित लोग, जो बाद में गांव में तब्दील हो गए, उनके पास अपने होने का कोई प्रमाण नहीं है। वे सारे लोग NPR/NRC में संदेह के घेरे में आएंगे और इस जन्म में तो कभी अपने को प्रमाणित नहीं कर पाएंगे। आदिवासियों की पहली पीढ़ी जिनमें अधिकांश ने कुछ साल स्कूल जाकर, स्कूल छोड़ दिया, कोई प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा उनके पास। अपनी सही उम्र, जन्मस्थान, तारीख़ वे खुद ठीक से नहीं जानते, उनके बच्चे क्या जानेंगे इस बारे? ऐसी नई पीढ़ियां अपने मां बाप को इस देश का नागरिक कभी साबित नहीं कर पाएगी। यह तब है जब सही होने के सारे सबूतों के बाद भी आदिवासी, मूलवासी आज तक खुद को साबित ही करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं।


हजारों साल से जो सांस्कृतिक संघर्ष इस देश में चलता आया है, यह उसी का नया और बदला हुआ रूप है। इसमें वही लूटतंत्र, झूठतंत्र और भोगतंत्र काम कर रहा है जो आज सत्ता में है, जो चारों तरफ फैला हुआ है। वह लोक, वह आदिवासी और मूलवासी समाज, जिसने हमेशा इस तंत्र का प्रतिवाद किया है और अपनी संस्कृति, जीवन मूल्यों को बचाकर रखा है,अपने अलग, विशिष्ट और मूलनिवासी होने के पहचान और प्रमाण को जीवित रखा है, जिसने मानवीयता के बचे रहने को लेकर संघर्ष किया है, उसका संघर्ष अभी ख़तम नहीं हुआ है। उन्हें भी इस समय को समझना चाहिए और CAA/NPR/NRC को एक साथ आकर, सिरे से खारिज़ करना चाहिए।


Jacinta Kerketta