आयतुल्लाह काशानी ने कहा है कि अगर इस्लामी क्रांति न होती तो अमरीका और ज़ायोनी शासन, ईरान ही नहीं बल्कि पूरे इस्लामी जगत पर वर्चस्व जमा चुके होते।
आयतुल्लाह इमामी काशानी ने जुमे के ख़ुत्बे में ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता की सफलता की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा कि ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के साथ ही इस्लामी देशों विशेषकर क्षेत्रीय जनता ने अमरीकी और ज़ायोनी षडयंत्रों के मुक़ाबले में प्रतिरोध आरंभ कर दिया था। ईरान में 11 फ़रवरी 1979 को इस्लामी क्रांति सफल हुई थी।
अपने ख़ुत्बे के दूसरे भाग में आयतुल्लाह काशानी ने कहा कि सेंचुरी डील वास्तव में ज़ायोनियों और अमरीकियों का खुला अपमान है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता और सारे ही फ़िलिस्तीनी, अमरीकी और ज़ायोनी षडयंत्र सेंचुरी डील का विरोध करते रहेंगे। ज्ञात रहे कि बहुत से देशों के अतिरिक्त विश्व के कई गणमान्य लोगों और विद्वानों ने सेंचुरी डील का विरोध करते हुए इसको रद्द किया है।
इस्लामी क्रांति ने क्षेत्र को अमरीकी वर्चस्व से सुरक्षित कर दियाः आयतुल्लाह काशानी