"देश के गद्दारो को- गोली मारो सालों को"- डायर चीखा!!


आज्ञाकारी योद्धाओं ने फायर खोल दिया। 1650 गोलियां दागी, 379 लोग मरे, हजार से ऊपर घायल हुए। बाग की जमीन खून से लाल हो गयी। ये माकूल सजा थी, जो डायर ने तय की थी।


आखिर इस बाग में जमा सारे लोग धारा 144 का उल्लंघन कर जमा हुए थे। पॉलीटिक्स कर रहे थे। सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। संयोग है, या कोई प्रयोग?? आखिर सरकार ही तो देश होती है। देश की खिलाफत तो बर्दाश्त नही होगी। बगावत बर्दाश्त नही होगी। गद्दारी बर्दाश्त नही होगी। सबक सिखाया जाएगा। पुश्तों तक रूह कांप जाए, ऐसा सबक सिखाया जायेगा।


डॉ सत्यपाल और सैफुदीन किचलू, इन दो जननेताओं को ब्रिटिश गवर्नमेंट ने कैद कर लिया था। पंजाब में ये लोग, उस गांधी के फालोवर्स थे जो देश भर में बगावत फैला रहा था। ऊपर से ये बंगाल और पंजाब .. इनकी हिम्मत टूटती न थी। क्या नही किया था डायर ने। मार्शल ला लगाया। पुलिस की लाठी बराबर नजदीक कोई आये तो कोड़े मारने के आदेश थे। सड़कों पर साष्टांग घिसट कर चलना था, वैसे ही जैसे ये अपने देवताओं के सामने घिसटते हैं। ब्रिटिश राज भी भगवान से कम था क्या??


दो दिन की शांति के बाद खबर आई कि ब्लडी इंडियन फिर मीटिंग करेंगे। शहर में हड़ताल करेंगे। मोहम्मद बशीर मीटिंग बुला रहा है। कन्हैयालाल उसका साथ दे रहा है। ब्लडी कांग्रेस पीपल.. इनको शबक शिखाना मांगटा


सुबह 11 बजे मीटिंग थी। बारह बजे तक भीड़ आती रही। साढ़े बारह पर ऊपर से हवाई जहाज गुजरा। पायलट ने डायर को बताया, कोई छह हजार लोग होंगे। डायर ने फ़ौज इकट्ठी की। मशीनगनें लदवाई। बाग में सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पढ़ा जा रहा था। हिंदी में, उर्दू में, पंजाबी में, अंग्रेजी में। भीड़ बढ़ती जा रही थी। कर्नल डायर की फौज घुसी। निकलने के रास्ते बंद कर दिए गए।


"देश के गद्दारो को- गोली मारो सालों को"- डायर चीखा!!
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एक सौ एक साल हो चुके। बागों में फिर बहार है। सत्यपाल, किचलू, बशीर और कन्हैया साथ- साथ बैठे हैं। इस बार सम्विधान की प्रस्तावना पढ़ रहे हैं।


डायर का इंतजार हो रहा हैं।


Gurusharan jh kaur