अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर बुंदेली ग़ज़ल


अपने मन कौ सार बता दो
की पै खा रये खार बता दो


तुमनें चुनी तुमई अब रो रये
कां गयी अब सरकार बता दो


इन सबकी कोरी बातन सें
की कौ भऔ उद्धार बता दो


सबई लुटेरा राजनीत में
को है इज़्ज़तदार बता दो


सुख सुविधा वारे जीवन सें
हुइयै कबै चिनार बता दो


गांव गांव में खुशहाली की
आहै कबै फुहार बता दो


ज़ोर ज़ुलम की चढ़ी नदी कौ
हुइयै कबै उतार बता दो


सुगम कबै जा कम हो जैहै
मेंगाई की मार बता दो


खार =गुस्सा /चिनार =पहचान /आहै =आएगी


महेश कटारे Mahesh Katare Sugam