उर्दू के अजीम शायर कैफ़ी आज़मी

             कैफ़ी आज़मी : जन्म शताब्दी

जन्म : 14 जनवरी 1919
उर्दू के एक अज़ीम शायर कैफ़ी आज़मी का 14 जनवरी को जन्मदिन है । उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए कई प्रसिद्ध गीत व ग़ज़लें भी लिखीं, जिनमें देशभक्ति का अमर गीत -"कर चले हम फिदा, जान-ओ-तन साथियों" भी शामिल है।आवारा सज़दे, इंकार, आख़िरे-शब आदि इनकी प्रमुख रचनाए हैं।क़ैफ़ी आज़मी को राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। 1974 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। कैफ़ी आज़मी की बेटी शबाना आज़मी हिंदी फिल्मों की एक बेहतरीन अदाकारा है l देश के इस विलक्षण शायर और गीतकार के यौमे पैदाईश (14 जनवरी) पर खिराज़-ए-अक़ीदत, l प्रस्तुत है उनकी एक कविता


दूसरा वनवास (कविता) / कैफ़ी आज़मी
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राम बनवास से जब लौटकर घर में आये
याद जंगल बहुत आया जो नगर में आये
रक्से-दीवानगी आंगन में जो देखा होगा
छह दिसम्बर को श्रीराम ने सोचा होगा
इतने दीवाने कहां से मेरे घर में आये


धर्म क्या उनका है, क्या जात है ये जानता कौन
घर ना जलता तो उन्हें रात में पहचानता कौन
घर जलाने को मेरा, लोग जो घर में आये


शाकाहारी हैं मेरे दोस्त, तुम्हारे ख़ंजर
तुमने बाबर की तरफ़ फेंके थे सारे पत्थर
है मेरे सर की ख़ता, ज़ख़्म जो सर में आये


पाँव सरयू में अभी राम ने धोये भी न थे
कि नज़र आये वहाँ ख़ून के गहरे धब्बे
पाँव धोये बिना सरयू के किनारे से उठे
राम ये कहते हुए अपने दुआरे से उठे
राजधानी की फज़ा आई नहीं रास मुझे
छह दिसम्बर को मिला दूसरा बनवास मुझे


-- कैफ़ी आज़मी