पुलिस और सुरक्षा बल छत्तीसगढ़ में लगातार आदिवासी महिलाओं से बलात्कार कर रहे हैं ।

चौदह साल की बच्ची से लेकर चालीस साल की अधेड़ महिलाओं से सुरक्षा बलों के सिपाहियों नें सामूहिक बलात्कार किये ।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का जाँच दल छत्तीसगढ़ में दोबारा इन में से कुछ महिलाओं से मिला ।
सीबीआई, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय आदिवासी आयोग की कई रिपोर्ट आ चुकी हैं ।इन रिपोर्टों में स्वीकार किया गया है कि पुलिस और सुरक्षा बल लगातार आदिवासी महिलाओं से बलात्कार कर रहे हैं 
अधिकारी अपना नाम ना बताने की शर्त पर बताते हैं कि बलात्कार के द्वारा आदिवासियों को डराने के लिये ऊपर से आदेश आता है ।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के छत्तीसगढ़ में बैठक लेने के तुरंत बाद सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कारों की बाढ़ आ गई ।
सबसे ज़्यादा बलात्कार आईजी  कल्लूरी की देख रेख में बस्तर में कराये गये ।इस कारनामे के एवज़ में कल्लूरी डोभाल के फेवरिट अफसर बन गया ।
जब प्रधानमंत्री मोदी छ्त्तीसगढ़ गये तो अजीत डोभाल ने विशेष तौर पर फोन कर के कल्लूरी की मुलाकात मोदी से करवाई ।
कल्लूरी द्वारा दन्तेवाड़ा के कलेक्टर को पिस्तौल की नोंक पर ताड़मेटला गांव के पीड़ित आदिवासियों से मिलने से रोक दिया गया था ।
बलात्कारों और गांव जलाने के लिये सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजी गई सीबीआई की जांच टीम पर विशेष पुलिस अधिकारियों ने गोलियां चलाई, सीबीआई टीम ने कमरे में खुद को बन्द कर अपनी जान बचाई ।
पुलिस ज़्यादतियों के बारे में लिखने के कारण पांच पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया था ।
सरकारी ज़्यादतियों की रिपोर्ट लिखने के कारण मालिनी सुब्रमण्यम और अनिल मिश्रा को बस्तर छोड़ कर जाना पड़ा था ।
आदिवासी पत्रकार लिंगा कोड़ोपी ने पुलिस से बलात्कार पीड़ित लड़कियों के इन्टरव्यु यू ट्यूब पर डाले तो उन्हें पुलिस अधीक्षक के घर ले जाकर उनके मलद्वार में तेल और मिर्च से डूबा हुआ डन्डा घुसा दिया गया, जिससे उनकी आंते फट गई, इसके बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया ।
जब लिन्गा कोड़ोपी की बुआ सोनी सोरी ने लिन्गा कोड़ोपी की मदद करने की कोशिश करी तो पुलिस अधीक्षक ने पुलिस थाने में सोनी सोरी को निवस्त्र कर बिजली के झटके दिये और उनके गुप्तांगों में पत्थर भर दिये थे ।इसके बाद सोनी सोरी को भी जेल में डाल दिया था ।
बलात्कार पीडित महिलाओं को कानूनी सहायता देने की कोशिश करने वाली महिला वकीलों को पुलिस ने बस्तर छोड़ने के लिये मजबूर कर दिया गया था ।
हाईकोर्ट के तीन वकीलों, दो पत्रकारों और तीन शोध छात्रों का एक जांच दल आदिवासियों से मिलने बस्तर गया तो पुलिस ने पूरे जाँच दल को जेल में डाल दिया, जांच दल के सदस्यों को जेल में निवस्त्र कर के पीटा गया ।
पुलिस आईजी कल्लूरी ने कहा था कि मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और पत्रकार अगर छत्तीसगढ़ आयेंगे तो उन्हें जेल में डाल दिया जायेगा ।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे के बैंक खाते स्विटजरलैंड और पनामा टापू पर होने के सबूत सरकारी जांच एजेन्सियों को मिल चुके हैं आर्थिक लोभ के लिये पूरी दुनिया में यह सब दमन सरकारें करवाती हैं लेकिन भारत में हमारा भोला भाला शहरी मिडिल क्लास सोचता है कि चार बलात्कारियों को फांसी पर चढ़ा देने से भारत की महिलाएं सुरक्षित हो जाएंगी ।कितने भोले होते हैं ना यह पढ़े लिखे लोग इन्हें देश का रत्ती भर भी मालूम नहीं है ।
एक भी बलात्कार कम नहीं होगा फांसी देने से ।
जब तक यह समाज स्त्री और पुरुष की बराबरी के लिए काम नहीं करता ।जब तक अमीर द्वारा गरीब का शोषण नहीं रोका जाता ।जब तक हर नागरिक के मानव अधिकारों को समान नहीं समझा जाता ।जब तक जाति और सांप्रदायिकता के आधार पर महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ यह समाज खड़ा नहीं होता ।महिलाओं की हालत नहीं बदलेगी,आप कितने भी अपराधियों को फांसी दे दीजिए,कोई फर्क नहीं पड़ेगा ।


 


(हिमान्शु कुमार की पोस्ट)