मंटो की पुण्य तिथि

मंटो की पुण्य तिथ के अवसर पर सरला माहेश्वरी की इस कविता से उनकी स्मृतियों को नमन :


ओह मंटो !
सच कहा था तुमने
हर महान और श्रेष्ठ चीज़ 
एक सूखी रोटी की  मोहताज है
वह ख़ुदाबंद ताला ...वह निरपेक्ष नहीं है
उसको इबादत चाहिये...


इस
धरती पर उस खुदा के बंदे
उसी सर्वशक्तिमान के भक्त !
दल-बल बनाये हुए
रात दिन इसीलिये करते हैं चौकीदारी !
कि फिरकी की तरह नचा सकें
इस फ़क़त इंसान को !


न जाने कितने दंड-विधान हैं इनके पास !
खुदा भी देखे तो काँप जाएगा !
"भस्मासुरों की जैसे पूरी फ़ौज ! 
भूल से भी कभी धरती पर झाँकेगा नहीं !
या शायद 
देखकर ही डर गया हो और 
किसी दूसरे नक्षत्र की किसी नयी दुनिया में...
अपनी जिंदगी की ख़ैर मना रहा हो !


Arun Maheshwari