इस मुल्क के संविधान को सलाम


स्कूलों में भारत के संविधान की प्रस्तावना को पढ़े जाने का मध्यप्रदेश सरकार का फैसला एक शानदार पहल है. पढ़ना जानने की पहली सीढ़ी भी है. समाज में व्याप्त होती तमाम  किस्म की नफरतों के ख़िलाफ़ यह मुल्क की एकता और भाईचारे का सन्देश भी है ही. इसे पढ़ने वाले स्कूल के बच्चे उन लफ़्ज़ों के मायने भी समझेंगे जो हमारे संविधानिक आदर्श हैं, वे लफ्ज़ जो इस प्रस्तावना में लिखे हैं और जिन पर हम सबको नाज़ है. संविधान की यह प्रस्तावना राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने की एक पावन व्यवस्था हमारे सामने रखती है. यह इंसानियत और प्रेम के  फलसफे को इस मुल्क के लिए तय करती है कि हम किसी भी जाति, मजहब और लिंग के हों हम सब सामान हैं. यह सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक इन्साफ को सुनश्चित करने का हमारा हम सबसे वादा है. यह विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास और मजहब कि स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्ष मुल्क  को हमेशा बनाये रखने के जज़्बे को भी याद दिलाती है. यह समाजवाद और लोकतंत्र के मूल्यों वाले मुल्क के गठन का उदघोष है. यह याद दिलाती है कि इन तमाम मूल्यों को हम अपनाते हैं और क़ानून के मार्फ़त इसे लागू करते हैं.


गणतंत्र दिवस की इस पूर्व संध्या को इससे अच्छी बात और क्या हो कि स्कूल के बच्चे इसे हर सप्ताह पढ़ें और इन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाएं भी. 


इस मुल्क के संविधान को सलाम. उन सबको सलाम जिन्होंने इस अजीमोशान संविधान की रचना की.


@ तरुण भटनागर