हम किसी से बदला नहीं लेंगे मगर मुल्क़ में बदलाव ज़रूर लायेंगे,

#कृपया_ध्यान_दें #लखनऊ_घंटाघर


बहुत सारे दोस्तों, शुभ चिंतकों यहां तक अजनबियों तक का फोन/मैसेज आ रहे हैं कि इस आंदोलन में उनकी भूमिका क्या हो ? कई लोग बिल्कुल ज़िद की तरह खाने पीने का सामान, चाय, कम्बल, या अन्य मदद करना चाह रहे हैं..


आप सबका प्यार और कंसर्न सर आँखों पर, मगर हालात ये है कि इस कदर लोगों का सहयोग है कि बेवजह या अपने हिसाब से आपका कुछ भी करना सिर्फ आपके दिल को तसल्ली ही देगा वरना बेकार जायेगा।


वहाँ पर्याप्त कम्बल हैं, वॉलंटियर्स के लिये रेडियम जैकेट्स हैं, टॉर्च भी हैं ,चटाई दरी भी, खाना -बिस्कुट आदि भी बेहिसाब है ..जबकि आंदोलन का तकाजा है इसे बिल्कुल न्यूनतम और बुनियादी चीजों से ही चलाया जाए। कई बार लापरवाही में अंडे या केले-फल दबे रह जाते हैं जो बेकार होते हैं, उस बर्बादी से बहुत तकलीफ होती है।


पैसा बिल्कुल नही चाहिये,क्योंकि न तो उसकी जरूरत है और ये खतरा भी कि पैसा, या कुछ देने के बहाने कौन तत्व आंदोलन को बदनाम कर दें।


1- हो सके तो बस आइये,पूरा दिन-रात न सही शिफ़्ट के हिसाब से आइये, कुछ लोगों के साथ गुफ़्तगू करिये, हिन्दू मुस्लिम, सिख ईसाई आदि भिन्न धार्मिक साथियों से दोस्ती करिये ,एक दूसरे को समझिये।अपने आज़ादी के आंदोलन के इतिहास,लखनऊ के इतिहास को जानिये।


2- खूबसूरत नारे लगाइये,पोस्टर बनाइये, किताबें पढिये और अगर ये कलायें बिल्कुल न आती हैं तो इन आर्ट्स को खुद में डिवेलप करिये। 


3- उन बातों,उन तर्कों को समझिये क्यों हम CAA के इतना खिलाफ हैं और वो लोग CAA के समर्थन में जो दुष्प्रचार कर रहे हैं उनके तर्कों के जवाब क्या हैं..


4- शांति और समझदारी की बातों को अपने फोन में रिकार्ड करिये और जो यहां नही आ पाये उन तक पहुंचाइये..


5- सबको बताइये कि आपके पीसफुल प्रदर्शन से क्या दिक्कत है सरकार को, जबकि सरकार तो जनता के टैक्स के ही पैसे से समर्थन हेतु रैली, प्रचार आदि करवा रही है..मगर हमारे विरोध के अधिकार को वो "लेडीज़ टॉयलेट "तक बंद करवा के,माइक ,लाइट बंद करवा के ,तेज़ ठंड में तंबू तिरपाल तक न लगने देने को कह के तोड़ने की साजिश रच रही है..


पूछिये क्या ये ठीक है ? 
जो सरकार सिर्फ विरोध करने पर इतनी क्रूरता और नीचता पर उतर सकती है उस पर भरोसा क्यों करेगा कोई ??


इस वक़्त सरकार में काबिज ताकतों का एजेंडा ही है ..अवाम मे किसी खास समुदाय, आंदोलन,पार्टी या विचारधारा के प्रति घृणा पैदा करके ध्रुवीकरण करना..,


मगर हमें तो वो नफ़रत दूर करनी है, वो भ्रम, शिकायतें हटा के सबको सही तस्वीर दिखानी है, दोस्त बनाना है ताकि इस देश की बेहतरी,शिक्षा ,स्वास्थ्य,रोज़गार के लिये अभियान शुरू हों.. अमन कायम हो..,


ऐसे में जनता में लंबे और सतत कार्यक्रम चलाए जाने की ज़रूरत है..आपका सहयोग तब भी चाहिये होगा इस लंबे,बड़े और ज़रूरी काम में..


अभी अपनी तरफ से किसी सामान, पैसे या खाने पीने की चीज़ों का ऑफर न करें ।


हम किसी से बदला नहीं लेंगे मगर मुल्क़ में बदलाव ज़रूर लायेंगे,खुद को भी बदलेंगे..और ये लंबा सफर बिना आपके सहयोग के मुमकिन नहीं हो सकता..तो सब्र रखिये..कुछ न कर पाने का गिल्ट न पालिये..हम जानते हैं आप साथ हैं 💕


मर्दों यानी लड़कों और पुरुषों की एक और भूमिका है कि वो न केवल अपने घर परिवार की बल्कि दूसरी भी हर स्त्री का सम्मान करना, उनकी आवाज़ को स्पेस देना सीखें।सिर्फ आंदोलन भर नहीं,हमेशा के लिये.., अपने दूसरे मर्द दोस्तों को भी समझायें, ये मां-बहन की गाली गलौच की भाषा ही छोड़ें और समाज से खत्म करवायें।


 ये आधी आबादी अगर शुरुवात से पढ़ाई,फीस कम करना,मंहगाई, मज़दूरों के हक़, साम्प्रदायिकता ,जातिवाद,दहेज़ जैसे मुद्दों पर यूं ही निकल रही होती और वो सब ऐसे ही साथ खड़े होते तो ये परिवार,ये समाज और ये मुल्क़ कुछ और ही होता..


एक अमन और बराबरी का मुल्क़ 💐
तो कुल मिलाकर क्या हिन्दू क्या मुसलमान क्या दलित क्या ब्राह्मण..,
सभी को #गैरबराबरी_और_भेदभाव_से_आज़ादी_चाहिए #कुछ_गलत_है_क्या 


इस बार की 26 जनवरी ऐतिहासिक होगी ! और 30 जनवरी को न केवल लखनऊ बल्कि पूरे मुल्क़ में #सामूहिक_उपवास रखा जायेगा। इसी दिन गोडसे ने गांधी की हत्या कर दी थी।


#deepak_kabir