बेनूर आंखों का अंधा मसीहा !


अपंगता हमेशा जीवन की बाधा नहीं होती, वरदान भी हो सकती है - यह दुनिया के बहुत सारे लोगों ने बार-बार साबित किया है। करीब दो सौ साल पहले फ्रांस में ऐसे ही एक व्यक्ति हुए थे लुई ब्रेल जिन्होंने दुनिया भर के दृष्टिहीनों की दुनिया ही बदल कर रख दी।



5 साल की छोटी उम्र में एक दुर्घटना में अपनी दोनों आंखें गंवा देने वाले फ्रांस के एक मजदूर के बेटे लुई ब्रेल ने अपनी कल्पनाशक्ति, लगन और मेहनत से दुनिया को वह अनमोल उपहार दिया, जिसपर मनुष्यता आज भी गर्व करती है ! उन्होंने दुनिया की महानतम खोजों में एक दृष्टिहीनों के लिए 'ब्रेल लिपि' का आविष्कार किया, जिसने दृष्टिहीनों को पढ़ने-लिखने के मौके देकर उनके अंधेरे जीवन में रोशनी भर दी। आजतक 'ब्रेल लिपि' ही बिना आंख के लोगों के लिए अपनी दुनिया और अपने लोगों से जुड़ने का एकमात्र ज़रिया बनी हुई है।



मानवता के महान उद्धारकों में एक लुई ब्रेल के जन्मदिन (4 जनवरी) पर भावभीनी श्रधांजलि