"३० जनवरी , हे राम ! "अंतिम शब्द


गांधी तुम मरते क्यों नही!!!
आज ही के दिन जब मोहन दास करम चंद को गोली मारी गई तो शरीर तो नश्वर था सो पंच तत्व में विलीन हो गया लेकिन तुम तो तब तक गांधी हो चुके थे जिसे अमर होना था सो हो गया। किसी भी विचार द्वारा तुम्हे क़त्ल किया जाना असंभव है क्योंकि तुम जनता पर तंत्र, शासन, प्रशासन द्वारा किये जा रहे दमनकारी कृत्यों के विरोध में जर्जर शरीर के बाद भी विजयी मुस्कान लिए सिविल नाफ़रमानी की शक्ल में खड़े हो जाते हो।2019 के अंत मे एक बार फिर तुम देश के सैकड़ों शहरों और कस्बों में #शाहीनबाग़ बन कर खड़े हो और चुनौती दे रहे हो हर उस क़ानून का जो जन विरोधी है या जो भेदभाव पूर्ण है भाषा, धर्म, जाति अथवा किसी मानवीय मूल्यों का हनन करने वाला हो।
महानतम लोगों में, कई वर्ष से नाथूराम गोडसे का नाम सम्मिलित करने वाले आतुर राष्ट्रवादिओं की व्यथा यह है कि उनके पास स्वतंत्रता संग्राम या आज़ादी की लड़ाई में योगदान का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, वरन स्वतंत्रता आंदोलन को कमज़ोर करने, अंग्रेज़ो के साथ खड़े होने के प्रमाण इतिहास के पन्नो में दर्ज हैं। गोडसे ,जिसने मोहनदास करम चंद को तो गोली मर दी मार दी ,परन्तु गांधी को नहीं मार सका कि वो शरीर नहीं आत्मा बन चुके थे और आत्मा अमर है सो मरती कहाँ ,क्या उसको महिमामंडित करने से गांधी का अपमान नहीं होगा क्यूंकि किसी एक व्यक्ति का सही होना दूसरे व्यक्ति को ग़लत साबित करेगा, अगर ऐसा है तो या तो गोडसे सही था या गांधी ग़लत। आश्चर्य तब और होता है जब व्हाट्सएप्प और फ़ेसबुक विवि के ज्ञानियों द्वारा महात्मा गांधी को भी कोसा जाता है, जिन्होंने गांधी को जानने के लिए कोई किताब तक न पढ़ी
बहरहाल
मोहनदास करमचंद तुमतो बरसो पहले क़त्ल कर दिए गए थे ,पर गांधी कभी मर ही नही सकते, न यहां ,न वहा न ,कही भी . तुम अत्याचार ,बर्बरता ,क्रूरता , हिंसा , आक्रोश जैसे मानवीय विकृतिओं के मुंह पर एक करारा तमाचा हो और हमेशा रहोगे भी।
अपने देश में न सही ,हर दूसरे देश में ,जिनकों सहिश्रुता ,अहिंसा ,सद्भावना ,संयम , मानवाधिकार, विरोध का अहिंसक तरीक़ा आदि सीखना होगा ,तुमको याद करना उनकी बाध्यता और अनिवार्यता होगी।
श्रध्दांजलि …



खुर्शीद


उपासना स्थल ,दिल्ली
#Johanesberg to #ShaheenBagh