केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा कि यह कानून देश के ताने-बाने के खिलाफ है क्योंकि इसमें नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है
केरल विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है. सत्तारुढ़ सीपीएम की अगुवाई वाले एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि भाजपा के एकमात्र सदस्य ने इसका विरोध किया. इससे पहले प्रस्ताव पेश करते हुए केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा कि यह कानून धर्मनिरपेक्ष नजरिए और देश के ताने-बाने के खिलाफ है क्योंकि इसमें नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है. उनका आगे कहना था, 'यह कानून संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के उलट है.'
पी विजयन ने कहा कि देश के लोगों के बीच चिंता को देखते हुए केंद्र को सीएए को वापस लेने के कदम उठाने चाहिए और संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बरकरार रखना चाहिए. मुख्यमंत्री ने विधानसभा को यह भी आश्वासन दिया कि इस दक्षिणी राज्य में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं खोला जाएगा.
उधर, भाजपा के इकलौते विधायक ओ राजगोपाल ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि यह गैरकानूनी है क्योंकि संसद के दोनों सदनों ने सीएए कानून को पारित कर दिया है. इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले गैरमुस्लिमों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है. हालांकि इसका देश के कई हिस्सों में तीखा विरोध हो रहा है.