जाने माने गांधीवादी - नारायण देसाई

जाने माने गांधीवादी नारायण भाई देसाई का आज जन्मदिन है l
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जाने माने गांधीवादी नारायण भाई ने एक ज्ञानी संत का जीवन जिया। 
नारायण देसाई स्वातंत्र्योत्तर भारत में विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण के निकट सहयोगी रहे। गुजराती भाषा के साहित्यकार के रूप में भी जाने जाते हैं। उनके पिता और 25 वर्षों तक गांधीजी के सचिव महादेव देसाई की जीवनी 'अग्निकुंड में खिला गुलाब' के लिए उन्हें केन्द्रीय साहित्य अकादमी तथा गांधीजी की गुजराती में जीवनी - 'मारु जीवन एज मारी वाणी' के लिए ज्ञानपीठ का मूर्तिदेवी पुरस्कार मिला था। भूदान आंदोलन, संपूर्ण क्रांति आंदोलन जैसे कई राष्ट्रीय आंदोलनों में नारायण देसाई की सक्रिय भूमिका रही। दंगों के समय उन्होंने शांति सेना का नेतृत्व भी किया था। बिहार आंदोलन में सक्रियता के कारण तत्कालीन राज्य सरकार ने उन्हें बिहार निकाला कर दिया था। उन्होंने युद्ध विरोधी अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी और कार्यकर्ता प्रशिक्षण के लिए संपूर्ण क्रांति आंदोलन विद्यालय की स्थापना में सहयोग दिया था। नारायणभाई को साहित्य अकादमी पुरस्कार, मूर्तिदेवी पुरस्कार सहित कई साहित्यिक पुरस्कार तथा यूनेस्को से शांति पुरस्कार मिले थे। नारायणभाई को 75 से अधिक वर्षो के सामाजिक जीवन में महात्मा गांधी, विनोबा भावे और लोकनायक जयप्रकाश नारायण का निकट साहचर्य मिला था। कहना न होगा कि वह गांधी की गोद में पले-बढ़े थे। वह गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति भी रहे।  


2002 के गुजरात दंगे के दौरान कुछ न कर पाने की व्यथा के कारण उनके भीतर से गांधी कथा निकली और देश-विदेश में गांधी कथा की 108 कड़ियां उन्होंने पूरी की। वर्ष 2002 के गुजरात जनसंहार के प्रायश्चित स्वरूप नारायणभाई ने लोगों को सर्वधर्म समभाव का संदेश देने के लिए गांधीकथा-वाचन शुरू किया था। गांधी के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन वह जिस अंदाज में किया करते थे, वह अद्वितीय था। उन नारायण भाई देसाई ने हिंदी, गुजराती तथा अंग्रेज़ी में दर्जनों पुस्तकें लिखी है। उन्होंने गुजराती, हिंदी और अंग्रेज़ी में साहित्य लेखन किया और आपातकाल के दौरान 'तानाशाही' के खिलाफ कई पत्रिकाओं के संपादन के लिए भी उन्हें याद किया जाएगा। नारायणभाई ने कभी किसी स्कूल या कॉलेज का मुंह नहीं देखा, लेकिन वह अंग्रेज़ी, बंगला, उड़िया, मराठी, गुजराती, संस्कृत और हिंदी भाषाओं पर समान अधिकार रखते थे। इन सभी भाषाओं में वह धाराप्रवाह लिखते और बोलते थे। 
 
समाजवादी जनपरिषद के वरिष्ठ नेता अफलातून ,वरिष्ठ पत्रकार नचिकेता देसाई एवं अणुमुक्ति आंदोलन की प्रमुख डॉ संघमित्रा के पिता एवं युवा समाजवादी प्योली के दादा नारायण भाई ,प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी एवं महात्मा गांधी के सचिव महादेवभाई के बेटे थे  l 


उनका जन्म 24 दिसम्बर, 1924 एवं निधन 15 मार्च, 2015 को हुआ l
गांधीमार्ग के इस यात्री  को जन्मदिवस पर सादर स्मरण  l