5 ट्रिलियन इकॉनोमी का स्वप्न देख रहे भारत में रोज़ खत्म हो रही है 550 नौकरियां

















युवा एक ऐसा शब्द है जिसा बोलते ही चारों तरफ एक जोश नज़र आ जाता है। इसको बोलने से चारों तरफ ऊर्जा फैल जाती है, एक उम्मीद की किरण नज़र आने लगती हैं, सासों की गति तेज़ हो जाती हैं, भीड़ भरे माहौल में मानो उत्साह सा छा जाता है।


युवा एक शब्द मात्र नहीं है, ये कई लोगों की उम्मीद है, देश के कई लोगों का बुढ़ापे का सहारा है और कई मिडिल क्लास फैमिली की रोज़ी रोटी का ज़रिया है।


कई लोगों की उम्मीद भी इन्ही युवाओं से होती है और हो भी क्यों ना, युवा अपने आप में उम्मीद हैं। चाहे समाज का कल्याण हो या चुनाव का प्रचार, शादी हो या न्याय की मांग। इसी युवा का सहारा लेकर ही तो हम अपनी आवाज़ बुलंद करते नज़र आते हैं।


युवाओं के लिए हर दिशा में फैली है सलाहें


जब आप बड़े होने लगते हैं, तब आपके रिश्तेदारों,पड़ोसियों और जानकारों की मानो सलाहों की झड़ी सी लग जाती है। अक्सर वे कहते हुए दिख जाते हैं कि बेटा,



  • माता-पिता की सेवा करना

  • उनका कहा मानना

  • किसी की बातों में आकर इनका दिल मत दुखाना

  • घर का ख्याल रखना और

  • घर के कामों में माता-पिता का सहारा बनना।


ऐसा लगता है जैसे चारों तरफ सलाहों की बाढ़ आ गई हो। ये नसाहतें मिलनी भी चाहिए, बड़े तो सलाह अपनी तजुर्बे से देते हैं और ये उन्हें उनके संघर्षों से मिले हैं।


स्कूल-कॉलेज की किताबों का असल ज़िंदगी में रोल


कॉलेज से निकलने के बाद हर युवा नौकरी की तलाश में इधर-उधर घूमता नज़र आता है। बहुत लोगों से मिलता है, पता करता है कि नौकरी है या नहीं।


फिर पता चलता है कि बाज़ार में जो काम हो रहा है, उसका एक्सपीरियंस तो उसके पास है ही नहीं। जो मोटी-मोटी किताबें उसने रातों को पढ़ी थी, उसका बाज़ार में कुछ भी उपयोग नहीं हैं। व्यावहारिक जीवन में स्कूल और महाविद्यालय की किताबें मात्र पन्ने हैं, जिनका उपयोग पैसा कमाने के लिए नहीं किया जा सकता है।


पैसा कमाने के लिए उस काम का ज्ञान होना आवश्यक हैं जो बाज़ार डिमांड करता है। बाज़ार में आपकी कॉलेज की किताबें नहीं अनुभव की मांग की जाती है। ऐसे में सवाल उठता है,



  • क्यों शुरू से हमें यही क्यों पढ़ाया जाता रहा है और क्यों कहा जाता है कि पढ़ो-लिखो और नौकरी ढूंढो

  • क्यों उन किताबों को पढ़ाने में हमारे तीन या पांच साल खराब किये जाते हैं जिसका उपयोग अब कोई नहीं करता है।

  • अगर वे तीन साल हमें उस फील्ड का प्रैक्टिकल करवाया जाए जिसमें हमारा मन है, तो क्या हमें नौकरी नहीं मिलेगी?

  • अगर उन्हीं तीन सालों में हमें ये बताया जाए की आप व्यापार कैसे कर सकते हैं, तो क्या बाज़ार में देश के युवा को भटकने की जरूरत पड़ेगी?


फिर ऐसी किताबें क्यों पढ़ाई जाए जिससे बाज़ार का अनुभव नहीं मिल सकता।


युवाओं के देश में बेरोज़गारी के आंकड़ें



  • देश की आबादी का 65% हिस्सा युवा है और

  • भारत की 11 फीसदी आबादी यानी कि लगभग 12 करोड़ लोग बेराज़गार हैं।

  • वहीं चार साल से 550 नौकरियां रोज़ खत्म हो रही हैं।


कहते हैं कि पढ़-लिख लोगे तो एक अच्छी नौकरी मिल जाएगी लेकिन आंकड़ों के मुताबिक बेरोज़गारों में पढ़े-लिखे युवाओं की तादाद सबसे ज़्यादा है।



  • जिसमें 25 फीसदी 20 से 24 आयु वर्ग के युवा हैं

  • जबकि 25 से 29 वर्ष के उम्र वाले युवकों की तादाद 17 फीसदी है।

  • 20 साल से ज़्यादा उम्र के 14.30 करोड़ युवाओं को नौकरी की तलाश है।


विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ती बेरोज़गारी का यह आंकड़ा सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय है। अगर सही तरीके से देखा जाए तो इसके पीछे का मुख्य कारण है, युवाओं के पास बाज़ार का ज्ञान ना होना। ऐसे में भारत सरकार का 5 ट्रलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य किस आधार पर पूरा होगा यह भी बड़ा सवाल है।


डिग्री है पर बाज़ार का ज्ञान नहीं


आज हमारे पास डिग्री तो है पर काम कैसे किया जाए इसका ज्ञान नहीं है। कोई भी संस्था ऐसे व्यक्ति को काम देना चाहती है जिसके पास अनुभव हो। बिना अनुभव कोई भी काम नहीं मिलता है। स्किल इंडिया प्रोग्राम सरकार की एक अच्छी कोशिश थी पर इसमें युवाओं का फायदा कम और अमीरों का फायदा ज़्यादा हुआ है क्योंकि जो ट्रेनिंग वो दे रहे हैं, उसका उपयोग बाज़ार में बहुत कम है। 


हमें काम करने के लिए अनुभव की ज़रूरत होती है। ऐसे में अगर सरकार हर कॉलेज में जो जिस की डिग्री लेना चाहता है, उसे दो-तीन साल तक उसका अनुभव उपलब्ध करवाती है, तो ऐसा करने पर सरकार का पैसा भी कम खर्च होगा और छात्र कॉलेज से पास-आउट होने के बाद अनुभवी भी होंगे।


जो लोग नौकरी नहीं करना चाहते हैं, उन्हें स्वरोज़गार के अवसर देने चाहिए या जो खुद का काम कर रहे हैं उन लोगों से उन्हें मिलाना चाहिए और उनके विचार सांझा किये जाने चाहिए। इससे ना केवल बेरोज़गारी दूर होगी बल्कि देश में अनुभवी लोगो की संख्या में भी इज़ाफा होगा।


Sayyed Mehtab


courtsy-youth ki awaz