जिंदगी की तल्ख़ हकीकतों को उजागर करती बुलंद हौंसले वाली शायरा -फहमीदा_रियाज़






दो साल पहले लाहौर में मशहूर पाकिस्तानी शायरा मोहतरमा #फहमीदा_रियाज़ का इंतक़ाल हो गया था। तंज के जरिए जिंदगी की तल्ख़ हकीकतों को उजागर करती बुलंद हौंसले वाली इस शायरा को हमारा सलाम और श्रद्धांजलि के रूप में हिंदोस्तानी आवाम को मुखातिब ये नज्म पेश है जो उन्होंने यहां पर कट्टरपंथियों के उभार पर लिखी थी। आज भी प्रासंगिक है यह नज़्म :




तुम बिल्कुल हम जैसे निकले

अब तक कहाँ छिपे थे भाई

वो मूरखता, वो घामड़पन

जिसमें हमने सदी गंवाई

आखिर पहुँची द्वार तुम्हारे

अरे
बधाई बहुत

बधाई

 

!



प्रेत धर्म का नाच रहा है

कायम हिंदू राज करोगे ?

सारे उल्टे काज करोगे !

अपना चमन ताराज़ करोगे !



तुम भी बैठे करोगे सोचा

पूरी है वैसी तैयारी

कौन है हिंदू, कौन नहीं है

तुम भी करोगे फ़तवे जारी !

होगा कठिन वहाँ भी जीना

दाँतों आ जाएगा पसीना

जैसी तैसी कटा करेगी

वहाँ भी सब की साँस घुटेगी

माथे पर सिंदूर की रेखा

कुछ भी नहीं पड़ोस से सीखा!



क्या हमने दुर्दशा बनाई,

कुछ भी तुमको नजर न आयी?

कल दुख से सोचा करती थी

सोच के बहुत हँसी आज आयी

तुम बिल्कुल हम जैसे निकले

हम दो कौम नहीं थे भाई !



मश्क करो तुम, आ जाएगा

उल्टे पाँव चलते जाना

ध्यान न मन में दूजा आए

बस पीछे ही नजर जमाना

भाड़ में जाए शिक्षा-विक्षा

अब जाहिलपन के गुन गाना।



आगे गड्ढा है यह मत देखो

लाओ वापस, गया ज़माना

एक जाप सा करते जाओ

बारम्बार यही दोहराओ

कैसा वीर महान था भारत

कैसा आलीशान था-भारत !



फिर तुम लोग पहुँच जाओगे

बस परलोक पहुँच जाओगे

हम तो हैं पहले से वहाँ पर

तुम भी समय निकालते रहना

अब जिस नरक में जाओ वहाँ से

चिट्ठी-विठ्ठी डालते रहना !