सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर खगोल भौतिक शास्त्री थे और सन् 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता भी थे। उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई। वह नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी. वी. रमन के भतीजे थे। बाद में डा. चंद्रशेखर अमेरिका चले गए। जहाँ उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं।
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने 'व्हाइट ड्वार्फ', यानी 'श्वेत बौने' नाम के नक्षत्रों के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की है, उसे 'चंद्रशेखर सीमा' कहा जाता है। उनके सिद्धांत से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला।
वह मानवों की साझी परम्परा में विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा था, 'तथ्य यह है कि मानव मन एक ही तरीके से काम करता है। इससे हम पुन: आश्वस्त होते है कि जिन चीज़ों से हमें आनन्द मिलता है, वे विश्व के हर भाग में लोगों को आनन्द प्रदान करती है। हम सबका साझा हित है और इस तथ्य से इस बात को बल मिलता है कि हमारी एक साझी परम्परा है।' वह एक महान् वैज्ञानिक, एक कुशल अध्यापक और विद्वान थे।
आपका जन्म 19 अक्तूबर, 1910 एवं मृत्यु 21 अगस्त, 1995 को हुई l
प्रतिभाशाली भारतीय वैज्ञानिक को सादर नमन