रेल का निजीकरण और निगमीकरण को रोकने तथा पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए रेल मज़दूर यूनियन RMU ने संसद में याचिका दायर करने का निर्णय लिया है. 01 अक्टूबर, 2020 को प्राम्भिक चरण मे इस याचिका पर हस्ताक्षर अभियान का प्रारंभ करते हुए अहमदाबाद स्टेशन से 121 रेल कर्मचारियों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर कर इसकी शुरुआत कर दी है देश के विभिन्न रेल जोन्स मे कार्यरत 13 लाख कर्मचारियों के हितो की रक्षा करने तथा भारतीय रेल जो लोगो की जीवन रेखा है इसे निजी हाथो मे सौपने से बचाने के लिए रेल मज़दूर यूनियन ने बड़े स्तर पर इस अभियान की शुरुआत की है
रेल मज़दूर यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव सुभाष मलगी ने बताया की यह सरकार देश के सार्वजानिक उपक्रमों को लगातर निजी हाथो मे बेचने का खतरनाक काम कर रही है यह देश की अस्मिता के साथ धोखा है भारतीय रेल का लम्बा इतिहास है जिसने देश को कठिन से कठिन वक्त मे पूरी मुस्तैदी से साथ दिया और हमारे मेहनतकश रेल कर्मचारियों ने सबसे कठिन और खतरनाक दौर मे भी खतरों से खेल कर अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए देश को हर मुश्किल वक्त मे साथ दिया आज उसी रेल के 13 लाख कर्मचारी रोजी रोटी को बचाने के लिए खतरनाक दौर से गुजर रहे है सरकार कार्पोरेट्स को लाभ देने के लिए लोगो की जीवन रेखा रेल जो देश के ग्रामीण इलाको से देश के हर कोने मे एक दूसरे को जोड़ने का काम करती है उसे ही कार्पोरेट्स के हवाले कर देश की अस्मिता का सौदा करने पर काम कर रही है इसे हम किसी हालत मे नहीं होने देंगे 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलने वाले इस पखवाड़े मे रेल मज़दूर यूनियन हर जोन से कर्मचारियों से हस्ताक्षर लेकर एक याचिका संसद मे प्रस्तुत करेगी और 13 लाख कर्मचारियों की रोजी रोटी के साथ ही इस देश की जीवन रेखा रेल के कारपोरेटीकरण और निगमीकरण को को रोकने का काम करेगी
रेल निजीकरण और निगमीकरण रोकने तथा पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए रेल मज़दूर यूनियन RMU संसद में याचिका दायर करेगी