ओमपुरी हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता

अपने पसंदीदा अभिनेता को

जन्मदिवस पर अभिवादन

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ओमपुरी हिन्दी फ़िल्मों के उन प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक थे, जो अपनी अभिनय क्षमता से किसी भी किरदार को पर्दे पर जीवंत करने में सक्षम थे। वे भारतीय सिनेमा के एक कालजयी अभिनेता थे। उनके अभिनय का हर अन्दाज दर्शकों को प्रभावित करता है। रूपहले पर्दे पर जब ओम पुरी का हँसता-मुस्कुराता चेहरा दिखता है तो दर्शकों को भी अपनी खुशियों का अहसास होता है और उनके दर्द में दर्शक भी दु:खी होते हैं। हिन्दी फ़िल्मों में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए उन्हें 'राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार', 'फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार' और 'पद्मश्री' आदि से भी सम्मानित किया गया था। ओम पुरी हिन्दी सिनेमा के वह सितारे थे, जिन्हें लोग हर भूमिका में देखना पसंद करते थे। कलात्मक सिनेमा हो या कमर्शियल सिनेमा, वह सभी जगह अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहे।



'नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा' से अभिनय का औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओम पुरी ने हिन्दी फ़िल्मों की ओर रूख किया। वर्ष 1976 की फ़िल्म 'घासीराम कोतवाल' में वे पहली बार हिन्दी दर्शकों से रू-ब-रू हुए। 'घासीराम कोतवाल' की संवेदनशील भूमिका में अपनी अभिनय क्षमता का प्रभावी परिचय ओम पुरी ने दिया और धीरे-धीरे वे मुख्य धारा की फ़िल्मों से अलग समानांतर फ़िल्मों के सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता के रूप में उभरने लगे।



वर्ष 1981 में ओम पुरी को फ़िल्म 'आक्रोश' मिली। 'आक्रोश' में उनके अभिनय की जमकर तारीफ़ हुई। इसके बाद फ़िल्मी दुनिया में उनकी गाड़ी चल निकली। 'भवनी भवई', 'स्पर्श', 'मंडी', 'आक्रोश' और 'शोध' जैसी फ़िल्मों में ओम पुरी के सधे हुए अभिनय का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोला। किंतु उनके फ़िल्मी सफर में मील का पत्थर साबित हुई- 'अर्धसत्य'। 'अर्धसत्य' में युवा, जुझारू और आंदोलनकारी पुलिस ऑफिसर की भूमिका में वे बेहद जँचे।



धीरे-धीरे ओम पुरी समानांतर सिनेमा की एक बड़ी जरूरत बन गए। समानांतर सिनेमा जगत् में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ-साथ ओम पुरी ने मुख्य धारा की फ़िल्मों का भी रूख किया। कभी नायक, कभी खलनायक तो कभी चरित्र अभिनेता और हास्य अभिनेता के रूप में वे हर दर्शक वर्ग से रू-ब-रू हुए और उनकी प्रशंसा के पात्र बने।



नसीरुद्दीन शाह और स्मिता पाटिल के साथ ओम पुरी ने 'भवनी भवई', 'अर्धसत्य', 'मिर्च मसाला' और 'धारावी' जैसी फ़िल्मों में काम किया।



ओम पुरी हिन्दी फ़िल्मों के उन गिने-चुने अभिनेताओं की सूची में शामिल हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनायी है। 'ईस्ट इज ईस्ट', 'सिटी ऑफ़ ज्वॉय', 'वुल्फ़', 'द घोस्ट एंड डार्कनेस' जैसी हॉलीवुड फ़िल्मों में भी उन्होंने अपने उम्दा अभिनय की छाप छोड़ी है। 'सैम एंड मी', 'सिटी ऑफ़ ज्वॉय' और 'चार्ली विल्सन वार' जैसी अंग्रेज़ी फ़िल्मों समेत उन्होंने लगभग 200 फ़िल्मों में काम किया। 'चार्ली विल्सन' में उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक की भूमिका निभाई थी। हाल के वर्षों में मकबूल और देव जैसी गंभीर फ़िल्मों में अभिनय करने वाले ओम पुरी अपने सशक्त अभिनय के साथ ही अपनी सशक्त आवाज़ के लिए भी जाने जाते हैं।



चाची 420', 'हेरा फेरी', 'मेरे बाप पहले आप', 'चुपके-चुपके' और 'मालामाल वीकली' में ओम पुरी हँसती-गुदगुदाती भूमिकाओं में दिखे तो 'शूट ऑन साइट', 'महारथी', 'देव' और 'दबंग' में चरित्र अभिनेता के रूप में वे दर्शकों के सामने आये।



ओम पूरी का पूरा नाम ओम राजेश पूरी था l आपका जन्म 18 अक्टूबर, 1950 को अम्बाला पंजाब में हुआ एवं मृत्यू 6 जनवरी, 2017 को मुंबई में हुई l

gopal rathi