न राजा रहा है .. न रानी रहेगी .. ये मिट्टी है ....... मिट्टी कहानी कहेगी ..राम विलास पासवान
न राजा रहा है ..

न रानी रहेगी ..

ये मिट्टी है .......

मिट्टी कहानी कहेगी ..!

दिवंगत नेता स्वर्गीय राम विलास पासवान यह पंक्तियां अपनी सभाओं में बड़े आत्मविश्वास के साथ सुनाया करते थे ...खूब तालियां बजती थीं वे खुश हो जाते थे फिर 40 पैंतालिस मिनट तक भाषण देना उनके लिए आम बात थी ...बहुत अच्छे बक्ता थे अक्सर गरीब गुरबा के जीवन से जुड़ी बातें नंगे पांव चलने वालों फुटपाथों और झोपड़ियों में रहने वाले वंचित समाज ही उनके भाषण का लक्ष्य होता था ...जिनके लिए वे आजीवन लड़ते भी रहे ...

ढेर सारी खूबियों और कुछ खामियों के साथ वे एक बेजोड़ लीडर थे उनकी जिन खूबियों को मैंने बहुत नजदीक से महसूस किया और 1996 में पूरी तरह उनसे जुड़ गया आज केवल उसी को याद करना चाहता हूं ...

1989 में वीपी सिंह के प्रधानमंत्री बनने के दिन पूर्वसंध्या पर लिखे गए मेरे एक लेख "आइए वीपी आप का स्वागत है " से वे बहुत खुश और हमेशा के लिए मुझे अपना साथी बना लिए ..श्रम और कल्याण मंत्री बनने पर मैंने एक लेख लिखा ..गरीबों का खून चूसने वालों सावधान आ रहे हैं पासवान ..

इसे पढ़ने के बाद उसी दिन मुझे लंच पर बुलाए मैं श्रम शक्ति भवन पहुंचा ..तुरंत ही मुझे उनके विशाल कक्ष में ले जाया गया ...जाड़े के मौसम था उन्होंने कुर्शी से उठते हुए सोफे की तरफ इशारा किया और जेब से मेरे लेख की कटिंग को निकालकर दिखाने लगे ..कहने लगे कि निर्माण मज़दूरों के बारे में राजा साहब से बात करके एक ऐसा कानून बनवाने के बारे में विचार आया है कि अब जब कोई भी 3 तले की बिल्डिंग बनेगी तो 4था तला उसमें काम करने वालों का हो ...

विज्ञान भवन में आग लग गई मुझे बुलाए और बिना किसी अन्य पत्रकार के उसका निरीक्षण करने पहुंच गए हालांकि तब तक आग बुझी नहीं थी और एक जगह उनका पैर जले हुए राख में चला गया मैंने उनको पकड़कर जल्दी से खींच लिया ..मैंने बहुत हो गया अब यहां से चलिए उन्होंने कहा राजा साहब को पूरी रिपोर्ट देनी है ...

पासवान जी बेहद साहशी और रात दिन सोते जागते काम करने वाले लीडर थे ...अपने करीबियों का बहुत खयाल रखते थे जनसत्ता के पत्रकारों का तो बहुत ज्यादा सम्मान करते थे वे यह मानते थे कि जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस का पत्रकार भ्र्ष्ट नहीं हो सकता ...

1995 में वे पंजाब और जम्मू कश्मीर के 4 दिवसीय दौरे पर गए मुझे जनसत्ता की तरफ से उनके साथ खबरों के लिए जाने का मौका मिला ...कश्मीर में 2 दिन तक उन जगहों पर जाकर सभाएं किए जहां पर मुफ़्ती मोहम्मद सईद जैसे पूर्व गृहमंत्री की हिम्मत नहीं होती थी ..

पंजाब में उन्हें कई जगह पैसों से वजन किया गया तब वे 84 किलो के थे ...सारा पैसा रुपयों में तब्दील करा लिए लेकिन 30 पैंतीस किलो बड़े बड़े सिक्के गाड़ी में किसी ने जबर्दस्ती रखवा दिया ..दिल्ली लौटते वक्त रात के 11 बज गए थे मेरा निवास पीतमपुरा में था पासवान जी मेरी सोसायटी के गेट तक छोड़ने आए...

इसके बाद 1994 में काठमांडू में दलित सेना की एक रैली थी मुझे साथ लेकर गए हालंकि जनसत्ता ब्यूरो के चीफ राम बहादुर राय की तमाम कोशिशों के बावजूद न्यूज एडिटर हरि शंकर व्यास ने जाने की अनुमति नहीं दी तब मैं खुद व्यास जी के पास गया और बोला कि जहाज का टिकट भी आ गया है अब उन्हें मना करना ठीक नहीं होगा ..मैं जाऊंगा जरूर और यह मेरी निजी यात्रा होगी कोई खबर नहीं लिखूंगा ..

रात में नेपाल के राजा ने भारत सरकार से पासवान को रोकने के लिए दबाव बनाया लेकिन पासवान जी रूके नहीं ..जब हम हवाई अड्डे के लिए निकल रहे थे तब एक पत्रकार ने पूछा कि यदि वहां आप को रोक दिया गया तो क्या करेंगे उन्होंने हंसते हुए कहा कि असरार साहब को आगे कर दूंगा ..

वीपी सिंह से मुझे अकेले में मिलाने के लिए अपने किचन में चले गए क्योंकि वहां मंत्रियों और संतरियों की भीड़ लगी थी औऱ वीपी सिंह प्रधानमंत्री थे ...

1995 में शहीद जगदेव सिंह के सांसद पुत्र नागमणि जी के साथ अपने घर खगड़िया ले गए दिवंगत छोटे भाई सांसद राम चन्द्र पासवान के साथ मुझे वहां भेजे जहां वे छात्र जीवन में एक कमरे में रहते थे

मुझे कर्पूरी ठाकुर के घर ले गए और उनका खपरैल घर दिखाए जो किसी बहुत गरीब का घर लग रहा था ..

1996 में चुनाव के दौरान ही कीन्हों कारणों से मैं जनसत्ता से अलग हो गया पासवान दूसरे ही दिन मुझे शाम की फ्लाइट से लेकर पटना पहुंचे और वहां से लौटते वक्त मिर्जापुर में प्रचार के आखिरी दिन फूलन देई के लिए कई सभाएं किए ..एक सभा से दूसरी सभा में जाते वक्त फूलन देवी मुझे अपने व्यक्तिगत जीवन की परेशानियों को बताने लगीं तो पासवान ने मजाक के लहजे में कहा कि सब मत बता दीजिए पत्रकार हैं छाप देंगे ..AC की वजह से फूलन देई को बाहों में तेज दर्द होने लगा तो पासवान जी ने अपना रुमाल मुझे दिया और मैंने उसे फूलन के बांह पर बांध दिया

पासवान जी चुनाव आयोग के नियमों का बहुत पालन करते थे मुझे याद है कि उस रोज मिर्जापुर की छानबे विधानसभा में अपनी मीटिंग को ठीक 5 बजे समाप्त कर दिए जबकि उनके भाषण पूरा नहीं हुआ था ...

पासवान जी की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे किसी पार्टी के नेता को तोड़ते नहीं थे ....

खाने पीने ठाट से रहने का शौक उनको था लेकिन खुद से पहले मित्रों खयाल रखते थे ...मुझे तो हमेशा कार में पहले बैठा देते थे फिर खुद बैठते थे ...

पासवान जी अनीश्वरवादी थे और अंधविश्वास से उन्हें बहुत नफरत थी ...

पासवान जी किसी की धमकी के आगे नहीं झुकते थे एक बार बाल ठाकरे ने उन्हें मुंबई आने से रोकने के लिए धमकी दिया तब वे मंत्री थे जुकाम बहुत तेज था मुझे घर पर बुलवाए और पूछे कि क्या करना चाहिए मैं के नाक पर रुमाल लगा हुआ है इतना तेज जुकाम है कैसे जाएंगे उन्होंने कहा अभी अभी तगड़ी दवा लिया हूँ ठीक हो जाएगा . . अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं करते थे आखिर शाम की फ्लाइट से मुंबई गए और दूसरे दिन मुंबई में घटना स्थल पर जलूस का नेतृत्व किए ..

1996 में जब देवगौड़ा जी प्रधानमंत्री नामीनेट हो गए तो सबसे पहले पासवान जी से मिलने आए बारामदे में ही खड़े खड़े मिल रहे थे पीएम की सिक्युरिटी उन्हें पहले ही मिल गई थी पासवान जी मुझे बुलाए और देवगौड़ा से मेरी तारीफ करने लगे देवगौड़ा ने मेरा हाथ पकड़ा और थैंक्यू कहा तभी मैंने देवगौड़ा जी से कहा कि पासवान जी को रेलमंत्री बनाइएगा ..वे रेलमंत्री बन गए डेढ़ बजे रात को पोर्टफोलियो की लिस्ट जारी हुईं तो मेरे घर फोन किए जो आपने कहा वही मिल गया संसदीय मंत्रालय भी मिला है

दूसरे दिन मुझे बुलाए और कहने लगे अब आप मेरे साथ ही रहिए दो मंत्रालय मिले हैं पीएस को छोड़कर जो भी पद लेना है पहले आप ले लीजिए फिर बाकी नियुक्तियां करूंगा ..मैं संसदीय कार्य मंत्रालय में अतिरिक्त निजी सचिव बना बाद में रेलवे में सलाहकार बना ...

उन्होंने कैफ़ी साहब के कहने पर शाहगंज से आजमगढ़ को बड़ी लाइन में तब्दील कराया और आजमगढ़ के टिकल काउंटर को सबसे पहले कम्प्यूरीकृत कराया इसके लिए मुझे जिम्मेदरी दिए ...

मुझे उनकी यह खूबी हमेशा प्रेरणा देती है कि किसी से उसकी इक्षा के विरुद्ध कोई काम मत लीजिए ...जब वे भाजपा की सरकार में चले गए तो मुझे अपने साथ रखना चाहते थे लेकिन मैं नहीं चाहता था फिर उन्होंने कहा आप न्याय चक्र के संपादक बन जाइए इसके लिए उन्होंने अपने शुभचिंतक परामर्शदाताओं की एक मीटिंग संसद भवन के एक कक्ष में किया ..मैंने इनकार कर दिया तब उन्होंने कहा कि आप राष्ट्रपति के अभिभाषण विश्लेषण लिख दीजिए फिर आगे सोचा जाएगा ...

विशेष परिस्थितियों में उन्हें 1999 में उपप्रधानमंत्री बनने का ऑफर बाजपेयी जी की तरफ से आया उन्होंने मना कर दिया और भूमिगत हो गए फिर जब बाजपेयी की दूसरी बार सरकार बनी और वे मंत्री बने तब बाजपेयी जी उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे मैं इसका गवाह हूं पासवान ने मना कर दिया फिर उन्होंने नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया मैंने कहा क्यों मना कर दिया तो कहने लगे यहां यूपी में भी दलित बिहार में भी मुझे ठीक नहीं लगा .. वैसे 15 दिन में तो सरकार का गिरना तय है ...