गांघी जी के बिना सरदार पटेल

श्रीरामचन्द्र जी के बिना लक्ष्मण जी

गांघी जी के बिना सरदार पटेल



भारत के पहिले गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार पटेल ने किस संगठन की गतिविधियों को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा मानकर उस पर प्रतिबंध लगाया था ? कृपया आज सरदार पटेल को याद करते हुए गांधी जी के अनन्य साथी सरदार पटेल को माला पहिनाते समय ये ज़रूर याद रखें कि वे संकीर्ण राष्ट्रवाद और देश को बांटने वाली ताकतों के सख्त खिलाफ थे l वे धर्मनिरपेक्ष थे कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनैतिक कर्म किया और अंतिम समय तक कांग्रेसी ही थे l हिन्दू महासभा के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी और और संघी सरसंघसंचालक गोलवलकर के साथ गांघी जी हत्या के बाद हुआ उनका पत्र व्यवहार इसका प्रमाण है l



गांधीजी को अपमानित करके सरदार पटेल को ऊंचा उठाने की कोशिश वैसे ही है जैसे श्रीराम की उपेक्षा कर लक्ष्मण जी को ऊंचा उठाना l इतिहास में सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपना अपना महत्व है l किसी को किसी से छोटा या बड़ा दिखाना गलत है l दुर्भाग्य यह है कि आज इस मुद्दे पर वे लोग मुखर और प्रभावी है जिनका भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं रहा l यह अत्यंत पीड़ादायक है कि जो आज़ादी के आंदोलन में तटस्थ रहे ,उदासीन रहे या अंग्रेजो के समर्थक ,मुखबिर रहे वे देशभक्ति का पैमाना तय कर रहे है l

सरदार पटेल का इतिहास में जो स्थान है उसे गांधी नेहरू से तुलना करके या छोटा बड़ा करके नहीं समझा जा सकता l मगर ये बात इन इन मूर्खों को कौन समझाए l



“लाइफ एंड वर्क्स ऑफ सरदार वल्लभभाई पटेल” किताब के प्रधान संपादक थे पीडी सग्गी। पुस्तक में सरदार पटेल के भाषणों और वक्तव्यों का संकलन है। किताब में उनकी जीवनी और उन पर उनके समकालीनों के विचार भी हैं। किताब की प्रस्तावना में देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल सी राजागोपालचारी ने लिखा है, “वल्लभभाई गांधीजी जी के लिए वहीं थे जो लक्ष्मण श्री राम के लिए थे। जो लोग रामचंद्र और सीता की आराधना करते हैं उनसे इससे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं।”