छद्म धर्मनिरपेक्ष कहने वाले भक्तो का सकारात्मक पक्ष क्या कहता है ?

कौन नकारात्मक - कौन सकारात्मक ???

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हमारे दृष्टिकोण को नकारात्मक बता कर हमें कुंठित है , पूर्वाग्रह ग्रस्त है ,छद्म धर्मनिरपेक्ष कहने वाले भक्तो का सकारात्मक पक्ष क्या कहता है ?



हमने भक्तो की सकारात्मक सोच का जायजा लेने के लिए उनके टाइम लाइन पर जाकर देखा तो हमने पाया उनकी वाल पर बहुत सारी देवी देवताओं की पोस्ट है जो वे प्रतिदिन डालते है जिन्हें देखकर यह अनुभव हुआ कि उन्होंने अब मंदिर जाना छोड़ दिया है अब वे फेसबुक पर ही भगवान् की पूजा -अर्चना और प्रार्थना कर लेते है l गांधीजी -नेहरूजी के बारे में फोटोशाप पर तैयार की गई अश्लील फोटो और उन्हें ऐयाश बताने वाली मनगणंत कहानियाँ पढ़ी l लड़कियों के सुन्दर -सुन्दर फोटो के साथ लिखी इश्किया शायरी देखी l मुसलमानो के प्रति विद्वेष से भरी सामग्री और फोटो देखी l महामानव नरेन्द्र मोदी की शान में अनेक पोस्ट देखी l वैसे मनमोहन सिंह के शासन में भी हमने इनके सकारात्मक विचार को देखा है l इनके मन मे मुस्लिम विद्वेष इतना कूट कूट कर भरा होता है कि ये हर घटना में हिन्दू मुस्लिम एंगेल खोज लेते है l



कुछ संघी तो इतने शातिर होते हैं कि वे अपनी फेसबुक वॉल पर किसी भी विषय मे एक भी शब्द नहीं लिखते और ना शेयर करते लेकिन दूसरों की पोस्ट पर जाकर लंबे लंबे कमेंट लिखकर ज्ञान पेलते हैं l जिसका मूल स्रोत व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी द्वारा फैलाई गई झूठी कहानियां होती है l



भक्तो को कविता ग़ज़ल हास्य ,व्यंग्य ,विनोद की विधा का ज्ञान नहीं होता l वे साधारण कविता चुटकुला और व्यंग्य पढ़कर ही व्यथित हो जाते है और लंबे लंबे कमेंट लिखकर इन विधाओं के प्रति अपनी नासमझी जाहिर कर देते है l क्या किसी व्यंग्य और कविता की इस तरह समीक्षा होती है ? महापुरुषों लेखकों संतो के कोटेशन पोस्ट करो तो इनको लगता है कि हमने यह आर्डर देकर लिखवाए हैं और उस पर भी तर्क वितर्क पर उतारू होकर उक्त लेखक महापुरुषों की ऐसी तैसी करने लगते हैं l



आप कितने मूर्ख है , वज़्र मूर्ख है ,जानकार हैं ,संवेदनशील हैं , मानवीय है l आपका दृष्टिकोश कितना उदार है या संकीर्ण है l आप संस्कारी हैं या नहीं हैं l आपका चिंतन प्रवाह ,आपके प्रेरणा स्रोत ,आपके सिद्धांत क्या है l आप किन मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध है ये सब आपके कमेंट से ही ज़ाहिर हो जाता है l तथाकथित सकरात्मक सोच वाले और राजनीति निरपेक्ष होकर कमेंट करने वाले तथाकथित सांस्कृतिक राष्ट्रवादी दूत पहली ही नज़र में पहचान में आ जाते है l



निवेदन सिर्फ इतना है कि सार्थक कमेंट करें ताकि विमर्श आगे बढ़ सके l किसी को हराने या किसी को चुप कराने या अपमानित करने का भाव तो होना ही नहीं चाहिए l अपनी कुंठा और भड़ास निकालने के लिए अपनी फेसबुक वॉल का प्रयोग तो बेहतर होगा l दूसरों की वाल पर जाकर सार्थक सारगर्भित और संक्षिप्त टिप्पणी कर अपनी उपस्थिति अवश्य दर्शाएं लेकिन उसे रण का मैदान ना बनाएं l भाषा की शालीनता की अपेक्षा तो खैर सबसे है ही l



व्यक्तिगत टीका टिप्पणी से जितना बचे उतना अच्छा होगा l इससे व्यक्तिगत संबंध प्रभावित होते है l



प्रिय भक्तो मै जैसा हूँ वैसा ही रहूँगा , देश बदल जाए पर मेरे बदलने की संभावना बहुत कम है l आपकी गालियाँ ,आपकीं टिप्पणी आपकी उपमाएं मेरा हौसला बढ़ाती है l लगता है तीर निशाने पर लगा है l



पुराने और नई भर्ती के भक्तो से क्षमा याचना सहित

gopal rathi