आप वही समाज तो हो जिसने इंदिरा के क़त्ल के बाद सरेआम हज़ारों निर्दोष सिक्खों को मार डाला था, उनकी बेटियों के साथ रेप किया, नंगा नाच किया पूरे चार दिन।
सबसे ताक़तवर गद्दी पर सिक्ख जैल सिंह बैठा था , उसपर भी थूकता हूँ ।
फिर बाद में राजीव गांधी माथे पर बड़ा सा तिलक लगाकर पूरे देश में वोट मांगते रहे , 405 सीटें मिली थी ।
खांटी आरएसएस वालों तक ने देश की एकता के नाम पर राजीव गांधी को वोट दिया , आडवाणी ने भी कांग्रेस को वोट दिया जाना कुबूला ।
84 के सिक्खों पर देशव्यापी हमले में बड़े स्तर पर बजरंग दल जैसे आरएसएस के अनुशांगिक संगठन शामिल थे ।
कुल मिलाकर जो नफ़रत मुस्लिम के ख़िलाफ़ हमेशा से रही वही सब कुछ इस हिंदूवादी दल ने सिक्खों के ख़िलाफ़ भी इस्तेमाल किया ।
यानि सत्ता के लिए कुछ भी करेगा ।
चेहरे बदलते हैं सिर्फ़
याद रक्खा जाएगा
सब याद रक्खा जाएगा
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आज का दिन और उसके बाद का एक हफ्ता देश के इतिहास में काला दिनों के रूप में मेरे कंधे पर भयावह यादों की एक बड़ी गठरी के रूप में लदा रहेगा , जब दिल्ली में ही 2000 से ऊपर निर्दोष सिक्खों का क़त्ल-ए-आम किया गया , और ये भी सच है कि इस नर संहार में कांग्रेस की सहमति थी तो आरएसएस और उसके अनुषंगी संगठन 'बजरंग दल' आदि ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी की !
इसका मैं चश्मदीद हूँ
देश की आज़ादी की लड़ाई में इस क़ौम का योगदान गौरवमयी है , साथ ही देश निर्माण में अभूतपूर्व
उस समय मैंने कई बरस तक लोगों के मुँह से स्वयं को उग्रवादी के विशेषण देते हुए झेला , ले दे कर आज मुस्लिम के साथ उससे कई गुना ज़्यादा बुरा व्यवहार होता देख मन क्षोभ से भर उठता है !
ग़रीबी, जातिवाद , अश्पृश्यता आदि के ख़िलाफ़ फैसलाकुन जंग लड़ने की बजाय हम आदिम होते जा रहे हैं !
देश को बहुत बड़ी सांस्कृतिक क्रांति की ज़रूरत है ।
ज़ाहिर हो देश आज तक नहीं बदला।
Ajit Sahni
