बिहार चुनाव में का बा ?

 



बिहार में चुनाव की तारीखें नज़दीक आने के साथ नीतीश जी के नेतृत्व में एन.डी.ए और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद -कांग्रेस-कम्युनिस्ट गठबंधन ने चुनाव प्रचार में अपनी तमाम ताक़त झोंक दी है। इस बेहद नज़दीकी मुकाबले में बहुमत की तस्वीर बहुत साफ तो नहीं है, लेकिन इतना तय है कि इस चुनाव में नीतीश जी बुरी तरह घिर गए हैं। चिराग पासवान की एल.जे.पी खुद जीते या न जीते, जे.डी.यू के ख़िलाफ़ अपने उम्मीदवार उतार कर उसके दस-बारह सीट खा ज़रूर जाने वाली है। जे.डी.यू पर दूसरा संकट खुद उसके सहयोगी भाजपा की तरफ से है। भाजपा के तीस-चालीस प्रतिशत वोट उसे ट्रांसफर नहीं होने जा रहे। बिहार के बहुत सारे भाजपाई अब नीतीश को नहीं, भाजपा के किसी नेता को मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं। ऐसी परिस्थिति में एन.डी.ए को बहुमत मिलने की उम्मीद कम है। एल.जे.पी के पंद्रह-बीस उम्मीदवार जीत गए तो चिराग़ किंगमेकर भी बन सकते हैं। तब बिहार में मुख्यमंत्री भाजपा का होगा और जे.डी.यू तथा लोजपा के दो उपमुख्यमंत्री। नीतीश जी और चिराग पासवान केंद्र सरकार में मंत्रिपद संभालेंगे।



लोजपा यदि इतनी सीटें हासिल नहीं कर सकी,जिसकी ज्यादा संभावना है, तो बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बननी तय है। गठबंधन को कुछ सीटें कम हुईं तो उपेंद्र कुशवाहा तथा पप्पू यादव के नेतृत्व में बने दो छोटे-छोटे गठबंधनों के 10-15 विजयी उम्मीदवार कुछ मलाईदार पदों पर सौदेबाजी के बाद उसे समर्थन दे देंगे।