भरोसा करें
आदमी के बारे में जितनी बातें कही जाती है
अगर वे सच होती तो दुनिया में कैसे रह
पाता आदमी ,अगर भरोसा उठ ही जाता
सोचिए कि हर दूसरा आदमी किसीकी बेटी
से बलात्कार करता मिलता ,हर आदमी की जेब
क़मीज पहनने पर कटी मिलती ,चाहे वह
नौकर का काम हो ,या बेटे या पत्नी का
कौन कह सकता है कि रोज सोने के पहले या
बाद आप मृत घोषित कर दिए जांए क्योंकि
जिंदगी का तो कोई भरोसा कभी रहा ही नहीं
अब खाने में ज़हर तो मुहावरा है ही और
पानी में भी ,कुँए में तो भांग होने की पूरी ही
संभावना है ,सोचिए कि रोज किसीकी भी पत्नी
किसीके भी साथ भागती रहे
बच्चा पैदा होते ही हत्याएँ सीखने लगे ।
अब बस भी कीजिए ,ऐसे नहीं होता है
ऐसे जिंदगी कोई नहीं जीता है
ऐसे कोई भरोसा थोड़ेई खोता है
अभी भी मानना ही होगा
दुनिया भरोसे पर ही चलती है ।
प्रमोद बेड़िया