ऊँचे आदर्शों की अपेक्षा शिक्षक से सभी करते हैं , इसलिए अदना सा दरोगा , होमगार्ड , बेइमान लेख पाल , भृष्ट बाबू , गाँव का दबंग जातिवादी प्रधान , सभी शिक्षक को प्रवचन दे सकते हैँ और देते हैं ।बच्चो को अच्छा मिड डेमील मिले नही तो मास्साब बरखास्त , मास्साब का अधिकार केवल निलम्बित होना भर है । बाकी पैसा , राशन , और रसोइए सब प्रधान जी रखते है । वह कैसा भी खाना बनवाए मास्बाब कुछ भी नही कह सकते अगर कहेगें रोकेगें तो पाक्सो और दलित एक्ट पक्का है । जबसे मिड डे मील स्कूलों मे लागू हुआ छेडखानी और दलित उत्पीडन की घटनाएँ बढने लगी है । अब मास्साब चुपचाप निलम्बित हो लें या जेल जाएँ ज्यादा नेतागिरी की तो चार गुन्डे ऐसा ठोकेगें कि हड्डी तक नही मिलेगी ।
मास्साब वेतन पाते हैं ।हर महीना वेतन पर चढौना चढाते हैं , मेडिकल अवकाश , उपर्जित अवकाश मे नकद पैसा देना पडता है ।एरियर और जीपीएफ लोन का रेट ही 10% से 20% तक है ।
मास्साब दो सौ बच्चों को अकेले झेलते हैँ , पद खाली है ।स्कूल एकल चल रहा है । घर मे कोई बीमार हो चाहे मरे जिए अगर स्कूल नही गये तो स्कूल बन्द । अगर स्कूल बन्द मिला तो निलम्बन तो होगा ही साब को पाँच दश हजार देना भी पडेगा ।
मास्साब जनगणना करते हैं , चुनाव कराते हैं । पीठ पर मसीन लादकर ढोते हैं और ट्रक मे भूसे की तरह ठुँसकर होमगार्डो दरोगाओं की गाली सुनते हुए अपनी जान से ज्यादा मसीन की हिफाजत करते हैं ।
मस्साब पेढ लगवाते हैं प्रधान जी की भैंस खा जाती है मामला पता चलने पर मास्साब अधिकारी को ले देकर सेटल कर लेते है । प्रधान जी की शिकायत होना मतलब फर्जी मुकदमा लगवाना ।
मास्साब प्रधान से डरकर भाग नही सकते जहाँ जाएगें वहीं प्रधान है अपने आस पास जाने के लिए मोटी रकम खर्च करनी पडेगी । आधा वेतन तो वैसे लेन देन मे चला जाता है ।लिहाजा मास्साब वेतन बढाने के लिए लडते हैं धरना देते हैं और सरकार लाठी मारती है । कहती है पहले पढाओ भारत का भविष्य सुधारो तुम परम आदरणीय गुरू हो । मास्साब अपना दुख भूल जाते ह़ै ।
सभी शिक्षको को हर कठिन परिस्थिति में गुरू बने रहने की बधाई
( सौजन्य - उमाशंकर सिंह परमार )