सामाजिक दूरी शब्द कलंक है ..इसकी जगह शारीरिक दूरी बोलें ...!

प्रिय मित्रों मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि संसद की बैठक के दूसरे ही दिन हमारे उच्च सदन राज्यसभा ने कोरोना महामारी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे सामाजिक दूरी के शब्द को कलंक कहते हुए इसकी जगह पर शारिरिक दूरी शब्द इस्तेमाल करने को कहा है ....!
खुद राज्यसभा के अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सामाजिक दूरी शब्द के हो रहे इस्तेमाल का विरोध करते हुए सुरक्षित दूरी जैसे शब्द को इस्तेमाल करने की सलाह दी ...
ज्ञात हो कि इस शब्द का इस्तेमाल पश्चिमी देशों के नाते भारत में भी धड़ल्ले से होने लगा जबकि बहुत से समाजशास्त्री इसके अवधारणा को लेकर बेहद चिंतित और खफा थे ...रवीश कुमार ने भी इसपर बहस किया था लेकिन फिर भी उनके चैनल पर भेड़चाल बहुत हाबी था ....
दरअसल सामाजिक दूरी का शब्द भारत में इसलिए भी कलंक है क्योंकि हमारा समाज सदियों तक छोटे बड़े के भेदभाव के नाते छुवाछुत का शिकार रहा ...इसके अलावा छूत की बीमारियों के नाते भी जबकि उसके लिए भी शारीरिक दूरी ही रखी जाती रही है


asgar khan...