मेदिनीनगर केंद्रीय कारा में 13 सितम्बर से पचासों कैदी क्रमिक अनशन पर!

जेलों का सुधार, जेलों में संसीमित लोगों से मानवीय संवेदनाएं, राज्य - केंद्र सरकार तो दूर, शायद ही किसी राजनैतिक पार्टी, जन संगठन, मानवाधिकार संगठन के एजेंडे में भी शामिल होता है | जेल में एक कहावत है की जो एक बार जेल से बाहर निकल जाता है, पीछे मुड़कर जेल की तरफ ताकता भी नहीं है, की कहीं वापस ना जाना पड़ जाये | राजनैतिक आंदोलनों में शामिल हरेक राजनेता, अपने राजनैतिक जीवन में जेल जरूर जाता है | वर्तमान सरकार के बहुत से नेता जेल गए हैं, जेलों की भयावह स्थिति से वाकिफ हैं, बावजूद इसके वो जेलों के सुधार को लेकर कोई योजना नहीं बनाते हैं | झारखण्ड के जेलों में सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों की अत्यंत बहुलता है, झारखण्ड के जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं और ऐसे बहुत मुद्दे हैं, जेलों से जुड़े हुए जिन पर ठोस विचार कर, जेलों को बेहतर कर कैदियों की मानवीय सम्मान का ख्याल रख सकते हैं | मेदिनीनगर केंद्रीय कारा के कैदियों ने भारतीय आजादी के महान क्रांतिकारी यतीन्द्रनाथ दास से प्रेरणा लेते हुए उनके शहादत दिवस 13 सितम्बर से जेलों के संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प ले, क्रमिक अनशन पर चले गए हैं, जेलों के सुधार के निम्न मांगों को लेकर :-



(1) कैदी पुनर्निरीक्षण परिषद का त्रैमासिक बैठक सुनिश्चित किया जाए वह 2020 के बैठक में रिहाई से वंचित 40 कैदियों को पूर्ण विचार कर कोरोना के मद्देनजर तत्काल कारामूक्त किया जाए l
(2)रिहाई से वंचित 40 कैदियों सहित आधा से अधिक सजा पूरी कर चुके कैदियों को ओपन जेल में स्थानांतरित किया जाए।
(3) सामाजिक जांच पड़ताल के बजाय कारा पदाधिकारियों के अनुशंसा पर कैदियों की रिहाई सुनिश्चित किया जाए।
(4) भोजन, वस्त्र, आवास की तरह बंदियों को नि:शुल्क टेलीफोन की सुविधा संवाद के लिए मुहैया कराया जाए व प्रति 100 बंदियों पर एक टेलीफोन बूथ दिया जाए।
(5) उत्तर प्रदेश की जेलों की तरह बंदियों को जेल गेट के भीतर बनी पार्क में परिजन से मुलाकाती कराने की व्यवस्था झारखंड के तमाम जेलों में किया जाए।


Aloka Kujur