कोई एक रचना भी किसी रचनाकार को अमरत्व दे सकती है, चन्द्रधर शर्मा गुलेरी इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं।आधुनिक हिन्दी के शुरूआती रचनाकारों में एक गुलेरी जी ने निबंध, संस्मरण, व्यंग्य, आलोचना, कविता, कहानी सभी विषयों पर प्रचुर लिखा, लेकिन उन्हें याद किया जाता है एकांत प्रेम और प्रेम में उत्सर्ग की हिन्दी की सर्वकालीन श्रेष्ठ कहानियों में एक 'उसने कहा था' के लिए। यह कहानी पहली बार 1915 में 'सरस्वती' पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। इस कहानी पर 1960 में बिमल राय ने मोनी भट्टाचार्य के निर्देशन में इसी नाम से एक कालजयी फिल्म भी बनाई थी जिसमें सुनील दत्त और नंदा ने नायक-नायिका की भूमिकाएं निभाई थीं।
एक कहानी ने जिन्हें अमर कर दिया !