भारत के शासक गिरोह ने एक नौजवान लड़की को अपनी कपटपूर्ण राजनीति का शिकार बनाया । उस पर सीबीआई, एनसीबी जैसे अपने शिकारी कुत्तों को छोड़ कर बंदी बना लिया । उसका दोष सिर्फ़ इतना था कि उसे एक नशेड़ी लड़के से प्यार हो गया था जो संयोग से उस बिहार प्रदेश से आता था जिसमें दो महीने बाद ही चुनाव होने वाले हैं और देश के नौजवानों में मौजूदा आक्रोश को भटकाने के लिए मोदी-शाह जोड़ी को किसी कामुक औज़ार की ज़रूरत थी । कहने की ज़रूरत नहीं कि रिया चक्रवर्ती पर हमला गंदे राजनीतिज्ञों द्वारा एक साधारण नागरिक पर हमले का जघन्य उदाहरण है ।
आज के ‘टेलिग्राफ’ की पहले पेज की सुर्ख़ी है - धरती का सबसे बुरा शो (The saddest show on earth)
इस खबर में गिनाया गया है कि यह शो हमारे बारे क्या बताता है :
* जो केंद्रीय एजेंसियाँ अब तक कुछ राजनीतिक या विचारधारात्मक विरोधियों को निशाना बना रही थी, अब वे आम नागरिक के पीछे छोड़ दी जा रही है ।
* तथाकथित न्यूज़ चैनल पूरी तरह से राज्य के दमन के हथियार का रूप ले चुके हैं । निजी उद्योगों का इस प्रकार बिल्कुल सरकार के हथियार में बदल जाना विरल घटना है ।
* टेलिविज़न की यह लिंचिंग भीड़ जो कर रही है वह पत्रकारिता नहीं है । निदेशक अनुभव सिन्हा ने ऐसे टीवी नेटवर्क के कर्मचारियों को ट्वीट करके कहा है कि “यदि तुममें पत्रकार होने का जरा भी बोध है तो नौकरी छोड़ दो । तुम भूख से नहीं मरोगे । तुम्हें नए दोस्त, नए अवसर और नए रास्ते मिलेंगे ।”
* दर्शक भी दोष के भागी है । जनमत को विकृत करने के भारतीय इतिहास के इस सबसे घृणास्पद अध्याय ने मध्ययुगीन पिशाचों को पैदा कर दिया है जो हमारे आधुनिक ड्राइंग रूम्स में मंडरा रहे हैं ।
* इसमें किसी को कोई शक नहीं है कि देश में पहले कभी नहीं देखे गए संकट से ध्यान भटकाने के लिए एक मायावी खेल खेला जा रहा है । हर कोई जानता है कि इसका तात्कालिक कारण बिहार है, सुशांत का गृह राज्य । फिर भी बहुत सारे लोग धरती की इस सबसे बड़ी रक्त पिपासु भीड़ में शामिल हो गए हैं ।
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