भारत आज़ाद है-के खोखले नारों के साथ

हम भारत के लोग !


कोरोना ने थका दिया है अब.
मन नहीं लगता घर में !
लेकिन क्या किया जाय-
घर के बाहर भय पहरा दे रहा है
सपने ऊंघने लगे हैं
किसी से कोई उम्मीद नहीं
आत्मबल कबतक लड़ेगा
बाज़ार से।



वो ईस्ट इंडिया कंपनी भी व्यापार ही करने आई थी भारत
हम लगभग दो सौ साल ग़ुलाम रहे।


वो गांधी थे
जिनने आज़ादी का सही मतलब समझाया दुनिया को।


वो नेहरू थे
जिन्होंने पूँजीपतियों और बाज़ार के खेल से
महफूज रखने के लिए आम आदमी को
पब्लिक सेक्टर कम्पनियां बनाईं
मज़दूरों को उम्रभर सुरक्षा देने के लिए गढ़ी पेंशन की प्रथा
ताकि आम आदमी के हित के लिए
काम करता रहे जीवन भर निर्भय होकर
और प्राइवेट कम्पनियां भी मजदूरों की क़द्र करना सीखे
आम आदमी अपने बच्चों को अच्छी और ऊंची शिक्षा दिला सके
खोले स्कूल से लेकर कॉलेज सरकार ने
इलाज हो आम आदमी की पहुँच तक
खोले सरकारी अस्पताल।


लेकिन आम आदमी को आज़ादी पसंद नहीं आई
गांधी को मार दी गोली
नेहरू को घोषित कर दिया देशद्रोही
सरकारी कम्पनियाँ एक एक कर बेची जा रही हैं
प्राइवेट कंपनियों के मालिक उसे खरीद रहे हैं
ईस्ट इंडिया कंपनी इस बार इंग्लैंड से नहीं
चीन से आने वाली है !
सरकार को सत्ता चाहिए
और बाज़ार को भारत ।


आम आदमी तिरंगा लिए घूम रहा है
26 जनवरी आज है
भारत आज़ाद है-के खोखले नारों के साथ
गांधी- नेहरू इन्हें माफ़ करना
हम भारत के लोग
न तुम्हें समझ पाए
न आज़ादी
न संविधान को
तुमने जन जन को बनाया था देश का मालिक
ये किसी और मालिक बनाने में जुटे हैं
भारत माँ की जय गूंज रही है
लेकिन भारत माँ रो रही है
एक बार फिर से
तुम दोनों को पुकार रही है !
आओगे न ?


धनंजय कुमार