#आँकड़े_से_नहीं_हाँकने_से_चलेगा_देश

🔴 संसद ने पूछा ; घर लौटते में कितने मजदूर रास्ते में मरे ?
सरकार बोली ; नहीं पता।
🔴 संसद ने पूछा ; इन मृतकों के परिवार को कोई मुआवजा दिया गया ?



सरकार बोली ; जब मरने वालो का ही रिकॉर्ड नहीं तो मुआवजे का सवाल ही नहीं उठता।
🔴 संसद ने पूछा ; कितने लोगों की नौकरियाँ खत्म हो गयीं ? सरकार बोली ; नहीं पता।
🔵 इत्ती सी भोली भाली बात पर, इतने निर्मल, निराट सीधे साधे लिखित जवाबों पर लोग हैं कि मार तूमार खड़ा किये पड़े हैं। क्या फालतू का शोर मचा रखा है !!
🔵 अरे ये जीवन-मरण क्या है ?
गीता के दूसरे अध्याय - सांख्य योग - में खुद "भगवन्" कृष्ण कह गए हैं कि ; (न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः । अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो- न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥) शरीर का क्या है रहा, रहा, न रहा। अजर अमर तो आत्मा है।
🔴 मोदी सरकार "हन्यमाने शरीरों" की चिंता करे या आत्मा की चिंता करे ?? वह आत्मा की चिंता करती है। पूरी गंभीरता और तल्लीनता से करती है। देख नहीं रहे चार चार एजेंसियां लगाई हुयी हैं कि नहीं अभिनेता सुशांत सिंह की आत्मा को मोक्ष दिलाने के पुण्य काम में ? लगी है कि नहीं !! और लोग हैं कि मजदूरों की मौत की बात लिए बैठे हैं।
🔵 लोग अनाम, अजान, अनाथों के आंकड़े के पीछे पड़े हैं ?
यहाँ सरकार के पास जीडीपी के आंकड़े नहीं है। उद्योग-धंधों की हालत के आंकड़े नहीं है।
2 महीने बाद नोटबंदी के चार साल पूरे हो जाएंगे - सरकार के पास आज तक इस बात का आंकड़ा नहीं है कि आखिर कितने पुराने नोट वापस आये।
सरकार के पास उन 14 करोड़ भारतीयों का आंकड़ा नहीं है जिनका काम इस बीच में छिन गया।
🔵 ये सब तो छोड़िये
चीन के राष्ट्रपति से 18 बार मिलने, जिन पिंग को साबरमती में झूला जिलाने और सबसे ज्यादा चीन यात्राओं का रिकॉर्ड बनाने वाले, यात्रावीर प्रधानमंत्री की सरकार के पास पैंगोंग घाटी में पिछले तीन महीनो में कौन सा इलाका कहाँ गया का आंकड़ा नहीं है , डोकलाम में क्या हुआ इसकी खबर नहीं है। चीन अंदर आया या बाहर गया की जो जानकारी रक्षा मंत्रालय को है वो प्रधानमंत्री को नहीं है।
🔴 संसद ने जब पूछा कि लद्दाख में क्या चल रहा है तो स्पीकर इतना भिन्नाये कि "नो नो" कहते हुए सांसद का माइक ही बंद कर दिया। ठीक किया, जब जानकारी ही नहीं थी तो बताते क्या कद्दू ?
🔵 और वैसे ये आँकड़े वांकडे होते क्या हैं ? किस शास्त्र में लिखा है आंकड़े जुटाना और देश को बताना ? यह विशुध्द पाश्चात्य धारणा है। अब सरकार आंकड़े से नहीं हांकने और फैंकने की शुध्द देशज समझदारी से ,चलेगी।
🔵 और ये अकर्मण्य, संवेदनहीन सरकार - अयोग्य, अज्ञानी नेतृत्व वगैरा वगैरा फालतू की बाते हैं। आदि शंकराचार्य कह गए हैं "ब्रह्म सत्यम - जगत मिथ्या" ; यहां तो खुद ब्रह्मा शीर्ष पर विराजे हैं. उनसे सवाल कीजियेगा ? संसद में भी प्रश्नोत्तरकाल समाप्त है - आप भी बंद कीजिये सवाल उठाना।
#न_खाता_न_बही #जो_ब्रह्मा_कहे_वो_ही_सही


badal saroj