काजी नज़रुल इस्लाम

स्मरण :


                         काजी नज़रुल इस्लाम

क़ाज़ी नज़रूल इस्लाम की इस फटकार को नज़रंदाज़ मत कीजिए!


आंख मूंद कर मत चलिए, सोचने-समझने से नाता मत तोड़ लीजिए!