होशंगाबाद का बाढ़ दर्शन

अशोक जमनानी की नज़र से
मेरे शहर होशंगाबाद में बाढ़ आ चुकी है। मैं अभी अभी बाढ़ देखकर लौटा हूं। आप पूछेंगे बाढ़ भी कोई देखने की चीज़ है? तो जनाब आप होशंगाबादी नहीं हैं इसलिए ऐसी हल्की बात कर रहे हैं। हमारे शहर में जब भी बाढ़ आती है लोग घर बाद में संभालते हैं पहले बाढ़ देखने जाते हैं। लोग एक दूसरे से पूछते हैं : तूने कहां कहां की देखी ? सेठानी घाट, कोरी घाट, मंगलवारा घाट, पिचिन घाट, विवेकानंद घाट ? अगर किसी ने कम घाटों पर बाढ़ देखी तो उसका जीवन व्यर्थ है । इसलिए लोग सब घाटों की बाढ़ देखने के बाद ही घर जाकर सरकार को गालियां देते हैं। घरों की हालत बारिश ने तबाह कर रखी है लेकिन होशंगाबादी तो वही होता है जिसका होश नाम का अंग आबाद होता है। और होश नाम का अंग आबाद होते ही दर्शन जागता है, जो कहता है कि कलयुगे ये जना मृता ते धन्य : । कलयुग में जो मर जाते हैं वे धन्य हो जाते हैं ।अब देश में कोरोना को अवतार मानकर 65000 से अधिक लोग धन्य हो चुके हैं बाकी लोग मेरी तरह बाढ़ या और कुछ देख रहे हैं । दुष्यंत होते तो कहते :



बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं
नदियों के किनारे घर बने हैं
हम बाकी तकलीफें बाद में देखेंगे
अभी हमारे दिमाग सुशांत रिया में सने हैं ..


Ashok Jamnani
फ़ोटो सौजन्य : हितेश थुडगर