#अपनी_प्यारी_बहन_कविता_पांडेय_के_मार्फ़त_कांग्रेस_लिए
🔴 रीवा में एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं कविता पाण्डेय, Kavita Pandey हमे अपना बड़ा भाई मानती हैं। कही भी कोई भी ज़ुल्म अन्याय या अत्याचार होता है वे सबसे पहले पहुँचती हैं और भिड़ जाती हैं। इन दिनों कांग्रेस में हैं। मगर हैं बिलकुल हम जैसी। शायद हमसे बेहतर ही हैं। हम उनकी इस कमाल की बेधड़क सक्रियता के मुरीद हैं।
🔴 आज उन्होंने हमारी कश्मीर वाली पोस्ट पर सटीक टिप्पणी की है कि "लोकतंत्र समाप्त होने की कगार पर है" .
🔴 उनकी इस टिप्पणी को पढ़कर उन्हें (असल में उनके जरिये उनकी पार्टी को) गांधी जी की यह सच्ची कहानी सुनाने का मन हुआ।
#और_वो_यूं_है_कि ;
आजादी के बाद दिल्ली जल रही थी। मारकाट चल रही थी। दंगों के बीच दिलेरी से काम कर रही सुभद्रा जोशी जी गांधी जी के पास पहुँची और कहा "बापू बहुत खराब हालत है। हजारों लोग मारे जा चुके हैं। दंगा और खूनखराबा जारी है।"
चरखा कातते कातते नजरें झुकाये बापू ने पूछा ; "दंगा रोकने के लिए कांग्रेस क्या कर रही है। "
सुभद्रा जी बोलीं ; "हमने राहत कैंप खोले हैं, खाना बाँट रहे हैं। डॉक्टर्स की टीम लगी है। कपडे भी इकट्ठा कर रहे हैं।
बापू ने चरखा बंद कर नजरें ऊपर की और सुभद्रा जी की आँखों में आँख डालकर पूछा ; "दंगों को रोकते हुए कितने कांग्रेसी मारे गए अभी तक। "
सुभद्रा जी चुप्प।
बापू ने सवाल दोहराया।
सुभद्रा जी ने जवाब दिया ; "एक भी नहीं !!"
गाँधी ने कहा ; "जाओ - कांग्रेसियों से कहो कि औरों को मरने से रोकना है तो पहले खुद को जोखिम में डालना सीखें। "
🔵 कविता बहन, यू आर राईट, "लोकतंत्र समाप्त होने की कगार पर है"
🔵🔵 बापू होते तो इस बार सुभद्रा जोशी की जगह कविता पांडेय से पूछते कि "कांग्रेस क्या कर रही है।
#गाँधी_ने_यह_भी_कहा_था
"राज्य का कोई धर्म नहीं हो सकता, भले उसे मानने वाली आबादी 100 फीसदी क्यों न हो। धर्म एक व्यक्तिगत मामला है इसका राज्य के साथ कोई संबंध नहीं होना चाहिए और राजनीति में तो धर्म बिलकुल नहीं होना चाहिए ।"
badal saroj