पूरी दुनिया में चर्मकार हैं मोची हैं. जिन्हें सम्मान की नजर से देखा जाता है. लेकिन चमार सिर्फ भारत में हैं.
चमार चर्मकार हैं मोची हो सकते है, लेकिन नीच नही हो सकते. क्या भला किसी को उसके आविष्कार श्रम काम मेहनत के कारण नीच कहा जा सकता है ?
नीच कौन है इसकी परिभाषा बदलनी होगी, नए सिरे से व्याख्या करना होगा.
जो समूह कोई काम नही करता. अपने को हर मेहनत के हर कार्य से अलग रखता है. जिसने कभी एक सुई तक का आविष्कार नही किया ऐसा समूह खुद को श्रेष्ठ दूसरे को उनके श्रम के आधार पर नीच कैसे कह सकता है.
इनकी हिम्मत कैसे हुई मेहनत मजदूरी खेती आविष्कार उत्पादन करने वालों को नीच कहने की ?
आप सुनते क्यों आ रहे हैं, कभी आप लोगों ने सवाल क्यों नही किया चमार धोबी सुतार लोहार कुम्हार कहार अहीर गड़ेरिया नट जैसे हज़ारो व्यवसाय रोजगार नीच कैसे हुए ?
ब्राह्मण सिर्फ पुजारी है, उसका पुजारी होना उसका रोजगार है जन्म जात आरक्षण नही. क्षत्रिय एक तरह का वॉचमैन है और बनिया दूसरों का बनाया हुआ आविष्कार उत्पादन बेचने वाला बिचौलिया है.
मैं गर्व से कहता हूँ हम श्रेष्ठ हैं. हमारा काम श्रम आविष्कार श्रेष्ठ है. हमे हमारे काम व्यवसाय को नीच कहने वाला नीच है.