सब कुछ बिक रहा है, यही निजीकरण का मज़ा अब यहाँ भी मिलेगा।
यूरोपियन इतिहासकारों ने लिखा सिकंदर महान था, और चंगेज़ खान क्रूर था । सिकंदर विश्व जीतने निकला था और चंगेज़ खान विश्व को लूटने निकला था ।
सिकंदर यूरोपियन है, यूरोपियन इतिहासकारों ने सिकंदर का पक्ष लेकर महिमा मंडन कर उसे महान बना दिया , लेकिन बिना चंगेज़ खान की निंदा के यह संभव नही, इसलिए चंगेज़ खान के व्यक्तित्व को धूमिल कर सिकंदर के व्यक्तित्व को निखारा गया ।
आज भी अमेरिका और यूरोपियन पूंजीवाद अपने फायदे के लिए अपने देश के शासकों को सिकंदर और एशिया अफ्रीका के शासकों को चंगेज़ खान की तरह पेश करता है ।
कोरोना महासंकट काल में इराक़ की जनता आज सद्दाम हुसैन को याद कर रही है। इराक में कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है, अस्पताल में बैड नही मिल रहे है, वेंटिलेटर की भारी कमी है । सद्दाम हुसैन के बाद इराक की सरकारी स्वास्थ्य सेवा को भी निजी अस्पतालों के ख़ातिर बीमार कर दिया गया ।
क्या था समाजवादी सद्दाम हुसैन सरकार का हेल्थ मॉडल ।
सद्दाम हुसैन ने केंद्रीय मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के तहत पूरे देश में सरकारी अस्पतालों का जाल बिछाया, जो पूरी तरह विदेशों से आयात आधुनिक दवा मशीनों से लैस थे । ऑपरेशन और इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती थी ।
मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई बहुत ही सस्ती थी। मजदूर कामगार कारीगर पशुपालक और खेतिहर वर्ग के बच्चे आधुनिक शिक्षा पाकर इंजीनियर डॉक्टर बन रहे थे ।
1990 में खाड़ी युद्ध से पहले UNICEF और WHO ने इराक के हेल्थ केयर सिस्टम की तारीफ करते हुए मिडिल ईस्ट देशों का सबसे आधुनिक चिकित्सा सेवा तंत्र बताया जो यूरोपियन हेल्थ केयर के समरूप है ।
2003 तक 97% शहरी आबादी और 71% ग्रामीण आबादी सरकारी अस्पतालों में इलाज कराते थे । सद्दाम हुसैन के वक़्त इराक में 98% अस्पताल सरकारी और 2% अस्पताल निजी थे ।
बाथ पार्टी सरकार के अंत के बाद अमेरिका की मदद से चलने वाली इराकी सरकारों ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण कर दिया । इराक युद्ध में 24% अस्पताल तबाह हो गए । 2005 के बाद से टाइफाइड, कालरा, मलेरिया और टीबी जैसी बिमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ी है ।
2016 में इराकी सरकारी अस्पतालों ने मुफ्त सेवा पूरी तरह खत्म कर दी । अब सरकारी अस्पताल भी निजी अस्पतालों की तरह चार्ज करने लगे हैं !
सद्दाम हुसैन बुरा था तो सद्दाम हुसैन के बाद का इराक बर्बाद क्यों होते जा रहा है, इराकी दयनीय हालत में क्यों हैं ?
- Neeraj Singh