सीटीपीए व एमपीटीएलबीए द्वारा समय 31/12/2020 तक समय सीमा बढाया जाने हेतु आयुक्त, वा.कर म.प्र.को ज्ञापन दिया
वैट अधिनियम के अंतर्गत कर निर्धारण (असेसमेंट) के प्रकरणों के निवर्तन (निराकरण) के लिए मप्र टैक्स लॉ बार एसोसिएशन (एमपीटीएलबीए) और कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (सीटीपीए) ने राज्य कर आयुक्त से समय सीमा बढ़ाने की मांग की है।
कर सलाहकारों और वकीलों ने राज्य कर आयुक्त राघवेंद्र सिंह को ज्ञापन देकर कहा है कि प्रदेश में वैट अधिनियम के कुल 1 लाख 41 हजार से ज्यादा कर निर्धारण के प्रकरण लंबित हैं। इनका निपटारा नौ दिन में होना संभव नहीं है। लिहाजा जो समयसीमा 30 जून को समाप्त हो रही है उसे 31 दिसंबर तक बढ़ाया जाना चाहिए।
प्रकरणों की संख्या और कम समय के साथ अन्य तमाम कारण भी कर सलाहकारों ने बताए। सीटीपीए के अध्यक्ष यशवंत लोभाने व एमपीटीएलबीए के अध्यक्ष अश्विन लखोटिया ने ज्ञापन देने के साथ आयुक्त से मांग की कि देशभर में तीन-चार महीने लॉकडाउन से प्रभावित रहे। ऐसे में व्यापार तो बंद था, सरकारी दफ्तर भी बंद रहे। केंद्र की ओर से भी अन्य तमाम टैक्स पालन प्रतिवेदन की अवधि बढ़ाई गई है। सिर्फ यही कारण नहीं है। प्रदेश में इन प्रकरणों के विभिन्न स्तर पर निवर्तन के लिए विभाग के पदाधिकारियों की कुल संख्या ही 335 है। नौ दिन में इस लिहाज से भी प्रकरणों का निर्वतन संभव नहीं है।
लंबित प्रकरणों की अधिकारीअनुसार स्थिति निम्नानुसार है :-
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१)उपायुक्त स्तर पर -2300
प्रकरण,
२)सहायक आयुक्त स्तर पर
6500,प्रकरण
३)वाणिज्यिक कर अधिकारी
33000 प्रकरण,
४) सहा.वाणिज्यिक कर
अधिकारी स्तर पर
99500 प्रकरण लंबित।
योग :कुल लंबित प्रकरण 141300
1) ऐसे लंबित प्रकरणों के निर्वर्तन हेतु मात्र 9 कार्य दिवस शेष है इन 9 कार्य दिवस में कालावरोधित हो रहे प्रकरणों का करनिर्धारण किया जाना किसी भी तरह संभव नहीं है।
2)अवधि 01-04-17 से 31-03-18 तक के वैट अधिनियम जैसे (पेट्रोल डीजल) के करनिर्धारण प्रकरणों की कालावरोधित समय सीमा 30 जून 2020 हैं इन प्रकरणों को समय सीमा में निपटारा किया जाना मुश्किल हैं ।
3) वेट अधिनियम, केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम एवं प्रवेशकर अधिनियम के अंतर्गत (जैसे अपील से रिमाण्ड प्रकरण) की कालावरोधित समय सीमा 30 जून 2020 है इन प्रकरणों की समय सीमा में निपटारा किया जाना मुश्किल है ।
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निम्न कारणों से ऐसे कालावरोधित प्रकरणों के निर्वर्तन हेतु कम से कम 31.12.2020 तक समय बढ़ाये जाने हेतु आग्रह किया है :-
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👉 संपूर्ण दुनिया में विगत 3-4 माह से व्याप्त कोविड 19 (कोरोना) जैसी संक्रमित वैश्विक महामारी के कारण संपूर्ण राष्ट्र/राज्यों में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 24 मार्च 2020 से चरणबद्ध रूप से नेशनल लॉकडाउन की घोषणा की गई थी जो 31 मई 2020 तक निरंतर जारी रही तथा केंद्र सरकार ने इसे चरण 5 के रूप में कुछ रियायतों के साथ राज्यों में नियमित वर्तमान परिस्थिति अनुसार आगामी 30 जून 2020 तक बढ़ाया गया, इससे सभी व्यापारी वर्ग एवं टैक्स कन्सलटेंट का कार्य भी बंद रहा वहीं दूसरी ओर शासकीय कार्यालय भी उक्त अवधि में मुख्यत: बंद रहे है।
👉वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनाव दिनांक 19.05.19 को होने के कारण वाणिज्यिक कर विभाग के सभी अधिकारियों की ड्यूटी लगभग 1.5 माह तक निर्वाचन में रही इससे डीम्ड करनिर्धारण योजना का कार्य पूरी तरह से प्रभावित हुआ एवं अपेक्षित आवेदन वाणिज्यिक कर विभाग में नहीं लग पायें। न्यूनतम कार्य दिवसों में समय की कम उपलब्धता के कारण यदि प्रकरणों का निर्वर्तन किया जाता है तो निश्चित रूप से अधिक से अधिक प्रकरणों में एक पक्षीय आदेश पारित किए जाने की स्थिति निर्मित होगी, जिससे एक बड़ी बकाया राशि सृजित होगी, साथ ही ऐसे एक पक्षीय आदेशों के विरूद्ध अपील किए जाने की स्थिति के कारण व्यवसायी वर्ग को अनावश्यक रूप से अनापेक्षित राशि का भुगतान करना होगा, जिससे आर्थिक बोझ वहन करने के साथ-साथ व्यवसायी परेशान होगें।
👉एक पक्षीय करनिर्धारण आदेश पारित होने की स्थिति में म.प्र. वेट अधिनियम की धारा 34 एवं 46 के प्रावधानों की पूर्ति हेतु अनावश्यक कार्यालयीन कार्य में भी अत्यधिक वृद्धि होगी, जिससे दैनिक कार्यालयीन कार्य प्रभावित होंगे।
👉डीम्ड कर निर्धारण योजना वर्ष 16-17 के लिए लायी गई है इस योजना को विभिन्न अधिसूचनाओं के माध्यम से 120 दिन तक बढ़ाया गया है। डीम्ड कर निर्धारण वर्ष 2016-17 के लिए लायी गई योजना में आवेदन प्रस्तुत करने की अन्तिम दिनांक 29 नवंबर 2018 निर्धारित रही है इस योजना की समाप्ति के पश्चात् ही शेष कर निर्धारण प्रकरणों की जानकारी विभाग को हो सकी है, उसके पश्चात् शेष रहे कर निर्धारण प्रकरणों में विभागीय अधिकारियों को सूचना पत्र जारी किए जाना है इसलिए भी प्रकरणों का निर्वर्तन समय-सीमा में नहीं हो सका है। साथ ही 17-18 हेतु डीम्ड योजना को भी 26.07.2019 तक बढ़ाया गया। इसके कारण भी शेष कर निर्धारण प्रकरणों की वास्तविक स्थिति का पता चल सका।
👉कर निर्धारण प्रकरणों की संख्या बहुत अधिक लम्बित होने से कर निर्धारण की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए समय बढ़ाया जाना उचित होगा।
👉 प्रतिवर्षानुसार पूर्व के वर्षों में भी वर्ष 2006-07 से 2016-17 के कर निर्धारण की समय सीमा आवश्यकता के अनुरूप नियमित रूप से बढाई गई है।
👉अधिकांश प्रकरणों में माल आयात एवं निर्यात से सम्बन्धित घोषणा पत्रों की प्रविष्टियां होने के कारण उनके सत्यापन में ज्यादा समय लगता है इसलिए करनिर्धारण आदेश विलंबित होते हैं।
👉जीएसटी में प्रारूप 9 ए 9एए 9सी वार्षिक रिटर्न वर्ष 2017-18 को प्रस्तुत किये जाने की अन्तिम तारीख 30/11/2019 थी जिसे बढाकर अब 31.12.2019 कर दिया गया था एवं उसके पश्चात इसकी अंतिम तारीख 07-02-2020 कर दी गई थी। करसलाहकार एवं व्यवसायी इसे भरने में व्यस्त रहे। जीएसटी में प्रारूप 9 ए 9एए 9सी वार्षिक रिटर्न वर्ष 2018-19 को प्रस्तुत किये जाने की अन्तिम को 31.03.2020 कर दिया गया है चूंकि उक्त रिटर्न बहुत अधिक क्लिष्ट थे केन्द्रीय सरकार द्वारा इसमें सुधार किये जाने की अधिसूचना जारी करने के पश्चात पोर्टल पर दिनांक 19-02-2020 से प्रारूप 9 एवं 9सी वर्ष 2018-19 के लिए उपलब्ध हुए है अत: अल्प अवधि में उक्त फार्म में अत्यंत ही क्लीस्ट जानकारियों को भरना दुष्कर कार्य है इसलिए भी कर सलाहकार एवं व्यवसायी संपूर्ण मार्च माह में इस कार्य में लगे रहेगें एवं जीएसटी के दैनिक फार्म प्रस्तुत करने के लिए भी समय की आवश्यकता होती है।
उपरोक्त कारणों से समय 31/12/2020 तक बढाया जाने हेतु अनुरोध किया है।
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उक्त ज्ञापन सीटीपीए व एमपीटीएलबीए द्वारा संयुक्त रूप से। आयुक्त, वा.कर श्री राघवेंद्र कुमार सिंह को दिनाँक 19/6/2020 को व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया गया।