नई दिल्ली
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा हुई। सभी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को कोई भी मौका दिए बगैर दुकानें बंद कर दीं, क्योंकि सब कुछ अचानक हुआ। फिर शुरू हुई प्रवासी मजदूरों के अपने घरों तक पहुंचने की जद्दोजहद। जैसे-तैसे कोई लिफ्ट ले-लेकर घर पहुंचा, तो कोई साइकिल से तो हजारों लोग ऐसे भी थे जो पैदल ही हजारों किलोमीटर चले। अब कंपनियां दोबारा शुरू हो गई हैं और मजदूरों को वापस बुला (Comapnies attracting migrant workers) रही हैं, लेकिन मजदूर वापस आने में हिचक रहे हैं।प्रवासी मजदूरों को वापस बुलाने के लिए कंपनियां भी तरह-तरह के प्रलोभन दे रही हैं। यहां तक कि कंपनियां गांव के प्रमुख से भी बात कर रही हैं कि लोगों को काम के लिए भेजें। बदले में कंपनियां मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं और साथ ही उनके आने-जाने की व्यवस्था भी खुद ही करने को तैयार हैं। बहुत से मजदूरों ने लौटने की इच्छा भी जताई है, लेकिन उसके लिए कंपनियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी है।
लॉकडाउन के दौरान बहुत सारे प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट गए थे, अब कंपनियां फिर से उन्हें वापस बुला रही हैं। बहुत सारे मजबूत आने से हिचकिचा रहे हैं, इसलिए कंपनियां तमाम तरह के प्रलोभन दे रही हैं
मुंबई की एक फार्मा कंपनी ने पिछले तीन महीनों में लेबर की बहुत दिक्कत झेली है, जिसके बाद वह अपने कर्मचारियों को आने जाने के लिए बस की सुविधा तक मुहैया करा रही है। केईसी इंटरनेशनल के एमडी और सीईओ विमल केजरीवाल बताते हैं कि उनकी कंपनी के करीब दो तिहाई मजदूर वापस आ चुके हैं। वह बताते हैं कि कंपनी की तरफ से मजदूरों के परिवारों और गांव के सरपंचों को मजदूरों की सुरक्षा का वादा किया जा रहा है। केजरीवाल बताते हैं कि कुछ इलाकों में तो मजदूरों को फ्लाइट से भी वापस लाया जा रहा है।
क्या कर रही हैं कंपनियां?
मजदूरों को वापस लाने के लिए बस और ट्रेन से आगे बढ़कर कंपनियां फ्लाइट्स से भी मजदूरों को वापस बुला रही हैं।
कंपनियों की ओर से मजदूरों को रहने के साथ-साथ तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
मजदूरों को वापस लाने के लिए कंपनियां दोनों जगहों के अधिकारियों से इजाजत ले रही हैं।