एमपी में लाखों क्विंटल गेहूं अभी भी खुले में पड़ा बारिश में भीगा

सड़ जाएगा फ़िर भी नहीं चेतेंगे अफ़सर..अनाज गोदामों की कमी...
बड़ा सवाल: योरपीय संघ से अरबों का कर्ज
लेकर बने गोदाम कहाँ है? बने भी कि नहीं...
राजगढ़ जिले में कई मंडियों से समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं का परिवहन 10 दिन बीतने के बाद भी नहीं हो सका है, जितना गेहूं खरीदा गया था उसमें से बड़ी मात्रा में गेहूं खुले में पड़ा सड़ रहा है और हर दिन और खराब हो रहा है. नई दुनियाँ की एक रिपोर्ट के अनुसार जिले के 89 केंद्रों पर15 अप्रैल से खरीदी शुरू होने के बाद 60 हजार से अधिक किसानों से लाखों क्विंटल गेहूं ख़रीदा गया,लेकिन इतनी अधिक आवक के बाद गेहूं का भण्डार ग्रहों तक परिवहन नहीं हो पाया, लगभाग 6 लाख क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा हुआ है और बारिश के हालात बन रहे हैं, ऐसे में यदि फिर से बारिश हुई तो बड़ी मात्रा में गेहूं खराब हो सकता है. इसके पहले 3-4 जून को हुई जमकर बारिश के दौरान भी जिले भर में बड़ी मात्रा में गेहूं भीगकर खराब हुआ था.



कमोवेश यहीं स्थिति प्रदेश के कई स्थानों पर है. यह समाचार पढ़ कर और यह तस्वीर देख कर कोई 25 साल पहले योरपीय इकॉनोमिक यूनियन के दल के सदस्यों की प्रेस वार्ता याद आई. जब EEU की उस टीम ने राज्य का दौरा कर मध्य प्रदेश में अनाज के स्टोरेज निर्माण श्रंखला के लिए अरबों रूपए (राशि यूरो डॉलर में शायद) का कर्ज देने की घोषणा की थी.उस योजना के मुताबिक सबसे ज्यादा गोदामों का निर्माण सुभाष यादव के क्षेत्र खरगौन और तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गृह जिले राजगढ़ में बनाए जाने थे.


आज 12 जून 2020 को जब राजगढ़ में खुले में पड़े गेहूं के बोरों की तस्वीर देखी तो सहसा जहाँनुमा में हुई उस प्रेस कांफ्रेंस की यह बात भी याद आई कि किसी सवाल के जवाब में उस डेलिगेशन के साथ मौजूद किसी आला अफ़सर ने यह दावा भी किया था कि भण्डार ग्रहों का प्लान अगले तीस साल में अनाज भण्डारण की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाया गया है.