युद्ध के विरोध में टैगोर की कविता

युद्ध के विरोध में टैगोर की कविता 
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(अनुवाद महात्मा गान्धी का है)
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जे युद्धे भाई के मारे भाई  (बांग्ला)


जे युद्धे भाई के मारे भाई
से लड़ाई ईश्वरेर विरुद्धे लड़ाई ।


जे कर धर्मेर नामे विद्वेष संचित ,
ईश्वर के अर्ध्य हते से करे वंचित ।


जे आंधारे भाई के देखते नाहि भाय
से आंधारे अंध नाहि देखे आपनाय ।


ईश्वरेर हास्यमुख देखिबारे पाइ
जे आलोके भाई के देखिते पाय भाई ।


ईश्वर प्रणामे तबे हाथ जोड़ हय ,
जखन भाइयेर प्रेमे विलार हृदय ।
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 कविता का हिन्दी अनुवाद
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वह लड़ाई ईश्वर के खिलाफ लड़ाई है ,
जिसमें भाई भाई को मारता है ।


जो धर्म के नाम पर दुश्मनी पालता है ,
वह भगवान को अर्ध्य से वंचित करता है ।
जिस अंधेरे में भाई भाई को नहीं देख सकता ,
उस अंधेरे का अंधा तो
स्वयं अपने को नहीं देखता ।


जिस उजाले में भाई भाई को देख सकता है ,
उसमें ही ईश्वर का हँसता हुआ
चेहरा दिखाई पड़ सकता है ।
जब भाई के प्रेम में दिल भीग जाता है ,
तब अपने आप ईश्वर को
प्रणाम करने के लिए हाथ जुड़ जाते हैं ।


मूल बांग्ला से अनुवाद : मोहनदास करमचंद गांधी


*स्रोत : हरिजन सेवक,२नवंबर १९४७
*अनुवाद की तारीख , २३ अक्टूबर १९४७


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