उत्तर प्रदेश में ट्रकों में सवारी ढोने का असली खेल कुछ और है

सड़क दुर्घटनाओं के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस भी कम जिम्मेदार नहीं है। दिल्ली में गाजीपुर सीमा हो या गाजियाबाद में लाल कुआँ या ग्रेटर नोएडा का परी चौक के आसपास, अचानक कोई ट्रक आता है -, लोग दो-दो, तीन-तीन हज़ार जमा करते हैं और उस पर चढ़ जाते हैं।
बारीकी से पता करें तो साफ हो जाएगा कि ट्रकों को सवारी ढोने के लिए लेकर आने वाले उत्तर प्रदेश पुलिस के ही लोग हैं। अब गाजियाबाद से गोरखपुर का ट्रक जिसमें 40 सवारी हैं। हर सवारी से 3000, कुल वसूली एक लाख बीस हज़ार 120000 वह पुलिस वाला लेता है जो ट्रक लेकर आता है। ₹10000 रास्ते में मिलने वाली अलग-अलग पुलिस चौकियों और रोकने वाले स्थानों पर दिए जाते हैं। 24 घंटे में एक ट्रक वाला सीधे-सीधे ₹ 70000 कमा लेता है। क्योंकि वजन ज्यादा होता नहीं है इसलिए एवरेज अच्छा होता है ।
यह कोई छोटा खेल नहीं है। बहुत बड़ा खेल है। अकेले खाली ट्रक नहीं, माल भरे ट्रकों पर सवारी को चढ़ाना उन्हें गंतव्य तक जाने के लिए दावा देना, इन सब में भी पुलिस वालों का मिलाजुला खेल है।
मुझे भी आश्चर्य लग रहा था कि आखिर पुलिस वाले बगैर निछावर खाए 50 दिन तक नौकरी आखिर कर कैसे सकते हैं।
जब यह खेल लाखों रुपए रोज का है तो दिल ही है मानने को तैयार नहीं कि इस न्योछावर का हिस्सा नीचे से ऊपर तक सभी को ना जा रहा हो।
Pankaj Chaturvedi